राजस्थान के उदयपुर में मणप्पुरम बैंक में हुई लूट के मामले को बैंक कर्मचारियों की लापरवाही मानते हुए पूरे स्टाफ को सस्पेंड कर दिया है। पुलिस अब खुलासे की दहलीज तक पहुंच चुकी है और आरोपियों के गिरेबान तक पहुंचना बाकी है। पुलिस को इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि लूट की इस वारदात को बिहार की सुबोध गैंग ने ही अंजाम दिया था। पुलिस ने अभी किसी भी आरोपी के नाम का खुलासा नहीं किया है।
जांच टीम में शामिल एक अधिकारी के मुताबिक सुबोध गैंग बिहार की है, जो लंबे समय से लूट की वारदातों को इसी तरह से अंजाम देती आ रही है। इस गैंग में कुछ समय पहले तक 125 युवा शामिल थे। इस गैंग के लोग ऐसी बैंकों की रेकी करते हैं, जहां सोना बड़ी मात्रा में हो और नकदी भी मौजूद हो। गैंग में शामिल लोगों को जिस शहर में वारदात को अंजाम देना होता है, वहां कमरा किराए पर लेकर रहते हैं और कई दिनों तक रेकी करते हैं। बातचीत में मोबाइल का इस्तेमाल भी नहीं करते हैं। रेकी पूरी होने के बाद वारदात को अंजाम देते हैं।
कोटा में रजिस्टर्ड बाइक का इस्तेमाल
वारदात में उपयोग में लाई गई बाइक कोटा जिले में रजिस्टर्ड होने के पुख्ता सबूत पुलिस को मिले हैं। आशंका जताई जा रही है कि आरोपी कोटा से बाइक चुराकर यहां लेकर आए थे। पुलिस का कहना है कि इस गैंग के कुछ सदस्य वारदात के छह दिन पहले ही जेल से छूटे थे। अन्य सदस्य 15 दिनों से उदयपुर के डबोक क्षेत्र में कमरा किराए पर लेकर रह रहे थे।
मात्र छह रुपये ही बैंक में छोड़े
घटना के बाद जांच के लिए पहुंचे बैंक के ऑडिटर नितेश त्रिपाठी ने बताया कि सभी ड्राअर खोलने और सामान निकालने में कम से कम आधा घंटा या उससे अधिक का समय लगता है। लेकिन आरोपियों ने 23 मिनट में ही लूट की पूरी वारदात को अंजाम दे दिया। आरोपी एक ड्राअर में मात्र 6 रुपये ही छोड़कर गए थे। इस वारदात से पहले जोधपुर में भी मणप्पुरम बैंक की ब्रांच पर लूट का प्रयास किया गया था।