उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की तरफ से बीते साल दिसंबर में कराई गई स्नातक स्तरीय परीक्षा (बीपीडीओ) के पेपर लीक में मुख्य सरगना एसटीएफ के हत्थे चढ़ गए हैं। दो लाख रुपये के इनामी सादिक मूसा और एक लाख रुपये के इनामी योगेश्वर राव को यूपी एसटीएफ ने लखनऊ में धर लिया। दोनों को उत्तराखंड एसटीएफ के सुपुर्द कर दिया गया है। इस मामले में अब तक 41 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
परीक्षा में बैठे थे डेढ़ लाख अभ्यर्थी
आयोग ने बीते 4-5 दिसंबर को स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा कराई थी। इसमें अलग-अलग विभागों के 13 श्रेणी के 854 पदों के लिए हुई परीक्षा में 1.60 लाख युवा बैठे। परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद इसमें फर्जीवाड़ा सामने आया। आयोग ने रायपुर थाने में केस दर्ज कराया तो एसटीएफ ने जांच शुरू की।
एसटीएफ ने कड़ियां जोड़ीं तो भाजपा के जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह समेत 39 को पूर्व में जेल भेजा गया। वहीं, परीक्षा का मुख्य सरगना सादिक मूसा निवासी अब्दुल्लापुर, अकबरपुर आंबेडकर नगर और उसका साथी योगेश्वर राव निवासी सहाबुद्दीनपुर, भड़सर, बिरनो गाजीपुर हाल निवासी इंदिरानगर लखनऊ फरार थे। दोनों के लखनऊ के आसपास होने पर यूपी एसटीएफ सक्रिय हुई। एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि यूपी एसटीएफ ने लखनऊ के पॉलिटेक्निक चौराहे से दोनों को गुरुवार शाम को गिरफ्तार किया। दोनों वहां किसी से मिलने के लिए पहुंचे थे। सूचना मिलते ही उत्तराखंड एसटीएफ की टीम वहां पहुंची। टीम ने दोनों आरोपियों को पकड़ लिया।
विवादित कंपनी के मालिक का दोस्त है मूसा
पेपर लीक कराने का असल मास्टरमाइंड सैयद सादिक मूसा आरएमएस सॉल्यूशन कंपनी के मालिक राजेश चौहान का खास दोस्त है। आरएमएस कंपनी ने आयोग का पेपर सेट करने साथ ही प्रिंटिंग की। राजेश चौहान की गिरफ्तारी होते ही सादिक मूसा और उसका सहयोग योगेश्वर राव अंडर ग्राउंड हो गए थे। दोनों के उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों की परीक्षाओं में गड़बड़ी करने की संभावना है।