नसबंदी के दौरान महिला की मौत का मामला सामने आया है। इस पर महिला के परिजनों और गांव वालों ने हंगामा किया। महिला के पति और परिजनों ने एएनएम पर जबरन नसबंदी कराने के लिए टॉर्चर करने का आरोप लगाया है। इस मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीएल बामनिया ने जांच कमेटी गठित कर दी है जो सप्ताहभर में अपनी रिपोर्ट देगी। यह मामला उदयपुर जिले में डबोक थाना क्षेत्र का है। नसबंदी के दौरान महिला की मौत होने का एक सप्ताह में यह दूसरा मामला है। पहला मामला बड़गांव ब्लॉक था।
गांव में परिजनों ने बताया कि नामरी गांव के सुआवतों का गुड़ा निवासी जसोदा गमेती का दो माह पूर्व प्रसव हुआ था और उसके बाद से एएनएम लगातार नसबंदी कराने का दबाव बना रही थी। वह उसे निजी जैन सर्जिकल हॉस्पिटल ले गई। यहां पिछले 7 सितंबर को नसबंदी ऑपरेशन करवा दिया। दो दिन बाद ही महिला की हालत बिगड़ी और पूरे शरीर पर जलन होने लगी। इस पर एएनएम ने डबोक स्थित सीएचसी से दवाई लाकर महिला को दे दी। कोई राहत नहीं मिली तो महिला को सीएचसी पर ही रेफर कर दिया गया। इसके बाद तबीयत बिगड़ने पर एमबी अस्पताल रेफर किया गया, जहां उसकी मौत हो गई। महिला के पति प्रभुलाल ने बताया कि एएनएम लगातार नसबंदी के लिए पत्नी जसोदा को टॉर्चर कर रही थी।
पांच दिन पहले भी आया था ऐसा ही मामला
पांच दिन पहले भी इसी तरह का एक मामला बड़गांव में भी हुआ था। पालड़ी गांव की एक महिला की नसबंदी करने से पहले लगने वाले इंजेक्शन से मौत हो गई थी। एएनएम पर आरोप लगाया गया कि उसने महिला की जबरन नसबंदी करवाई थी। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग व संबंधित हॉस्पिटल के माध्यम से तीन लाख रुपए परिवार को देने पर समझौता हुआ था।
एएनएम को दिये जाते हैं नसबंदी के टार्गेट
एएनएम पद कार्य करने वाली महिलाओं की परेशानी यह है कि उन्हें हर साल नसबंदी के टारगेट दिए जाते हैं। इस कारण एएनएम गांवों में महिलाओं को समझाइश करती हैं। महिला तैयार होती है तो घर वाले तैयार नहीं होते हैं। ऐसे में केस बिगड़ जाए तो पूरी जिम्मेदारी एएनएम पर ही आ जाती है।