चीन में उइगर समुदाय एक बार फिर मुश्किलों में है। खबर है कि शिनजियांग निवासियों के सामने खाने-पीने और दवाओं का संकट भी खड़ा हो रहा है। समुदाय पर आई मौजूदा परेशानी का जिम्मेदार चीन की जीरो कोविड नीति को बताया जा रहा है। इसके खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन भी जारी हैं। इस्तांबुल में समूहों ने चीनी कॉन्सुलेट के बाहर जमकर प्रदर्शन किया।
न्यूज18 की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि चीन की जीरो-कोविड नीति के नाम पर उइगर और अन्य मुसलमानों को उनके घरों में बंद कर दिया गया है। पहले ही धर्म और संस्कृति के नाम पर ये समूह हिरासत में लिए जाने का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया है कि हाल के दिनों में कई उइगर पाबंदियों के चलते अपने घरों में भूख और बीमारी से मृत पाए गए हैं।
इन इलाकों में रहने वाले लोगों को जबरन कैद किया जा रहा है। साथ ही दर्द और भूख सहन नहीं कर पाने के कारण कई लोगों की आत्महत्या की खबरें भी सामने आई हैं।
सोमवार को बीजिंग के ‘भूख से नरसंहार’ के खिलाफ इस्तांबुल के सेरियर डिस्ट्रिक्ट में जमकर प्रदर्शन हुए। खबर है कि चीनी कॉन्सुलेट के बाहर करीब 3000-3500 प्रदर्शनकारी जुट गए थे। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल रहे। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कुछ बच्चे भूखे हैं और ककुछ की भूख या बुखार के चलते मौत हो गई, लेकिन उन्हें खाना या दवा नसीब नहीं हुई।
उइगर समूह आरोप लगा रहे हैं कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना यानी CPC उनका सफाया करने के लिए जीरो-कोविड पॉलिसी का इस्तेमाल कर रही है। हाल ही में आई संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में भी उइगर मुसलमानों के खिलाफ जारी जुल्मों का जिक्र किया गया था। हालांकि, चीन ने रिपोर्ट में शामिल बातों से इनकार किया था।