राजधानी के लोगों का सामान्य जीवन प्रभावित न हो, इसे ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय ने शराब के अवैध कारोबार और सट्टेबाजी के दर्जनों मामलों में आरोपी व्यक्ति को दिल्ली से एक साल के लिए तड़ीपाड़ किए जाने को सही ठहराया है। न्यायालय ने तड़ीपाड़ किए जाने को लेकर दिल्ली पुलिस और उपराज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इसमें हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने अपने फैसले में कहा कि ‘तथ्यों से जाहिर है कि याचिकाकर्ता 1993 से 2020 तक शराब के अवैध कारोबार और सट्टेबाजी के 28 मामलों में शामिल रहा है, जो कि दिल्ली वालों का सामान्य जीवन प्रभावित कर रहा है। न्यायालय ने कहा कि ऐसे में याचिकाकर्ता को दिल्ली पुलिस अधिनियम की धारा 47 (सी) (आई) के तहत तड़ीपाड़ किए जाने के लिए यह उचित मामला है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता रणधीर सिंह की उन दलीलों को सिरे से ठुकरा दिया, जिसमें कहा गया था कि उन्हें कुछ मामलों में बरी कर दिया गया है, लिहाजा तड़ीपाड़ करने के आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। जस्टिस गुप्ता ने हाल ही में पारित अपने फैसले में कहा कि तथ्यों से साफ है कि याचिकाकर्ता शराब के अवैध कारोबार के 22 में 17 मामलों में दोषी पाया गया है। उन्होंने कहा कि यह तथ्य सक्षम प्राधिकार को मौजूदा मामले को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता को तड़ीपाड़ करने के लिए राय बनाने के लिए पर्याप्त है।
सिर्फ अपने मुकदमों की सुनवाई में ही प्रवेश की अनुमति
न्यायालय ने कहा कि जब आरोपी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया तो उस दौरान उसे 2011 और 2014 के दो मामलों में बरी कर दिया और दो मामलों की सुनवाई लंबित है। साथ ही कहा कि इस मामले में गवाहों के बयान को देखने से लगता है कि आरोपी के गतिविधियों के मद्देनजर कोई उसके खिलाफ गवाही देने सामने नहीं आ रहा है। उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली से एक साल के लिए तड़ीपाड़ किए जाने के खिलाफ दाखिल रणधीर सिंह की याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता को सिर्फ अपने मुकदमों की सुनवाई में ही दिल्ली प्रवेश की अनुमति होगी।
यह है मामला
उच्च न्यायालय में पेश मामले के अनुसार रणधीर सिंह के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने 1993 से 2020 तक आबकारी अधिनियम और गैम्बलिंग एक्ट के तहत 28 मुकदमा दर्ज किया। इनमें से याचिकाकर्ता को 17 मामलों में दोषी पाया गया है और कुछ मामलों की सुनवाई लंबित है। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने मार्च 2021 में सिंह को एक साल के लिए दिल्ली की सीमा से निर्वासित रहने का आदेश दिया और अप्रैल 2021 में उपराज्यपाल ने इस पर अपनी मोहर लगा दी। सिंह ने इसके खिलाफ अधिवक्ता अख्तर हुसैन के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर तड़ीपाड़ करने के आदेश को रद्द करने की मांग की थी।