यूपी में बच्चा चोरी के संदेह में किसी पर हमला करने या बच्चा चोरी की अफवाह फैलाकर कानून व्यवस्था और माहौल बिगाड़ने वालों की अब खैर नहीं। यूपी पुलिस ने ऐसे लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लगाने की सिफारिश का फैसला किया है। पिछले 10 दिनों में उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बच्चा चोरी की घटना को लेकर लोगों के साथ मारपीट की घटनाओं को देखते हुए यूपी पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ रासुका लगाने का फैसला किया है। यूपी पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने शुक्रवार को सभी जिलों के बड़े पुलिस अधिकारियों को एक विस्तृत पत्र लिखकर सलाह दी है कि बच्चा चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाया जाए। इसके साथ ही ये भी कहा गया है कि बच्चा चोरी की घटनाओं को बड़े संवेदनशील तरीके से संभाला जाए।
मौके पर अधिकारियों को जाने का आदेश
यूपी पुलिस एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने आदेश दिया है कि कांस्टेबल से लेकर एडिशनल एसपी रैंक तक के सभी पुलिस अधिकारी ड्यूटी पर सतर्क रहें और बच्चा चोरी या हिंसा की किसी भी घटना की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले में पुलिस अधिकारी को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि वे मौके पर जाएं और सूचना की वास्तविकता और गंभीरता का आकलन करते हुए कार्रवाई करें।
ए़डीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि अफवाह फैलाने वालों और हिंसक गतिविधि में शामिल लोगों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के अलावा आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7 के तहत मामले दर्ज करने के लिए कहा गया है।
जागरूकता के लिए गोष्ठी होगी
बच्चा चोरी की अफवाहों को रोकने के लिए जिला स्तर पर डीएम तथा अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ समन्वय गोष्ठी करने के निर्देश भी दिए गए हैं। डीजीपी मुख्यालय ने सभी गांवों व मोहल्लों में पीस कमेटी के सदस्यों, सिविल डिफेंस के पदाधिकारियों, ग्राम प्रधानों, सभासदों तथा अन्य सम्मानित लोगों के साथ स्थानीय निवासियों की गोष्ठी करके बच्चा चोर की अफवाहों पर विश्वास न करने और कानून अपने हाथ में न लेने के बारे में जागरूक करने पर जोर दिया है। साथ ही सभी पीआरवी वाहनों एवं गश्त मोबाइलों को इस दिशा में और अधिक क्रियाशील बनाने का निर्देश दिया है।
यूपी 112 पर जनता को करेंगे जागरूक
उन्होंने कहा कि उन इलाकों में जहां पुलिस थोड़ी देर से पहुंच पाती है वहां शांति समिति के सदस्यों, ग्राम सुरक्षा समिति के सदस्यों, नागरिक सुरक्षा कर्मियों, पुलिस पेंशनरों और रक्षा पेंशनरों को स्थिति से निपटने और बच्चा चोरी की घटनाओं का गंभीरता से विश्लेषण करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा दूरदराज के इलाकों में यूपी 112 यूनिट को पब्लिक एड्रेस सिस्टम का इस्तेमाल कर लोगों को जागरूक करने को कहा गया है। प्रशांत कुमार के मुताबिक लोगों को जागरूक किया जाएगा कि वो बच्चा चोर होने के संदेह में लिंचिंग या मारपीट में शामिल होने के बजाय तुरंत पुलिस को सूचित करें।
उन्होंने कहा कि जिला पुलिस अधिकारियों से कहा गया है कि संवेदनशील इलाकों में जहां बच्चा चोरी की अफवाहें सामने आई है वहां पुलिस की ड्यूटी सुनिश्चित करें। ये भी कहा गया है कि भीड़ की हिंसा या भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या करने की स्थिति में घायल को तुरंत पास के अस्पताल ले जाया जाए।
15 दिनों में बच्चा चोरी की अफवाह में 50 घटनाएं
गौरतलब है कि पिछले 15 दिनों के भीतर राज्य में बच्चा चोरी की अफवाह की 50 घटनाएं सामने आ चुकी है। ब्रज में दो दिन के अंदर चार घटनाएं हो चुकी हैं। आगरा में विक्षिप्त महिला और कासगंज में मोबाइल टॉवर कर्मियों से लोगों ने बच्चा चोरी के शक में मारपीट कर दी जिन्हें किसी तरह पुलिस ने बचाया। इसके अलावा वाराणसी में पिछले दस दिनों में बच्चा चोर समझ पीटने की पांच घटनाएं हो चुकी है जिसकी जद में साधु और सामान्य लोग भी आए हैं।
दूसरे इलाकों की बात करें तो कानपुर के हरदोई में तीन, फतेहपुर में एक, फर्रुखाबाद में दो, कन्नौज में तीन और चित्रकूट में दो जगह साधु के भेष में मांगकर खाने वाले की पिटाई हो चुकी है। सर्वाधिक प्रभावित बरेली मंडल में 15 दिन के अंदर 19 लोगों की पिटाई हो चुकी है।
प्रयागराज स्थित गर्ल्स हाईस्कूल एंड कॉलेज में शुक्रवार को मानसिक बीमार तौसीफ ने एक बच्ची का हाथ पकड़ा तो लोगों ने बच्चा चोर समझ उसे पीट दिया। गोरखपुर में एक हफ्ते में ऐसी तीन घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिसमें भीड़ ने पांच लोगों को पीट दिया।
मुंहनोचवा, चोटीकटवा जैसी अफवाहें कर चुकीं है परेशान
करीब 10 साल पहले मुंहनोचवा और चोटीकटवा जैसी अफवाहें प्रदेश के शासन-प्रशासन को परेशान कर चुकी हैं। इनमें सैकड़ों लोगों के साथ मारपीट की गई। कई संदिग्ध पकड़े गए, लेकिन बाद में इनका कोई ओर-छोर नहीं मिला।