हिमाचल प्रदेश में इस साल बरसात आपदा बनकर बरसी है। बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं में जहां कई जानें चली गईं, वहीं सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है। हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव आरडी धीमान ने बताया कि अब तक की बरसात में 284 लोगों की जान चली गई है। वहीं, इन आपदाओं में प्रदेश में करीब 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
केंद्र से आई टीम के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की गई है। उन्होंने प्रदेश में बरसात से हुए नुकसान के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बरसात में आई आपदाओं में अकेले मंडी जिला में ही 49 लोगों की जान चली गई है। इसके अलावा शिमला में 47, चंबा और कुल्लू में 33-33 लोगों की मौत हुई। बरसात के कारण 169 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए और 825 घरों को आंशिक नुकसान हुआ है। केंद्र की टीमों से बातचीत के दौरान उन्होंने आपदा प्रभावित प्रदेश को राहत के तौर पर केंद्र से अधिक से अधिक आर्थिक मदद की मांग की है।
मानसून सीजन के दौरान हुए नुकसान का आकलन करने के लिए दो दिवसीय प्रवास के दौरान अंतर मंत्रालय तीन सदस्यीय केंद्रीय टीम ने संयुक्त सचिव सुनील कुमार बर्णवाल के नेतृत्व में जिला कांगड़ा और चंबा में बरसात में हुए नुकसान का जायजा लिया। इस दौरान टीम ने कांगड़ा जिला में चक्की पुल तथा ढांगू माजरा सड़क और चंबा में हुए नुकसान का जायजा लिया। इस दल में केंद्रीय सहायक सचिव व्यय विवेक केवी, केंद्रीय जल आयोग (शिमला) के निदेशक पीयूष रंजन व हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक एवं विशेष सचिव सुदेश मोक्टा भी शामिल रहे। वहीं, दूसरी टीम ने चंबा और मंडी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर नुकसान का जायजा लिया।
प्रदेश में बरसात के लिहाज से मौजूदा सीजन काफी नुकसानदायक रहा है। इसदौरान कई भूस्खलन के कारण कई मार्ग बंद रहे। खड्डों में आई बाढ़ में कई पेयजल और सिंचाई परियोजनाएं बह गई हैं। इससे जल शक्ति विभाग को करोड़ों रुपये की चपत लगी है। इनमें से बहुत से पेयजल परियोजनाओं और सड़क मार्गों को अभी भी बहाल नहीं किया जा सका है। विशेषज्ञों की मानें तो अभी बरसात का मौसम पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में आने वाले दिनों में प्रदेश में बारिश के कारण और नुकसान हो सकता है।