बिहार में नीतीश कुमार की एक पखवाड़ा पुरानी महागठबंधन सरकार को लेकर पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने एक बड़ा शिगूफा छेड़ा है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव जब चाहें नीतीश कुमार को हटाकर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा सकते हैं और राजद की अगुवाई वाली सरकार बना सकते हैं। मोदी ने दावा किया है कि आरजेडी के अवध बिहारी चौधरी के स्पीकर बनने के बाद 45 विधायकों वाले जदयू की उलटी गिनती शुरू हो गई है।
सुशील मोदी ने कहा कि अब राजद अध्यक्ष लालू यादव जब चाहेंगे, नीतीश कुमार को हटा कर बेटे तेजस्वी यादव को सीएम बनवा देंगे। उन्होंने कहा कि जिस दल को 115 विधायकों का समर्थन प्राप्त है और स्पीकर भी उसी दल के हैं, वह कभी भी बाजी पलट सकता है। उन्होंने कहा कि नीतीश ने एक पैर डूबते जहाज पर रखा है और दूसरा उस पर जो उनकी छोटी नाव को कभी भी डुबो सकता है। वे मुख्यमंत्री कितने दिन रहेंगे, इसका ठिकाना नहीं, लेकिन सपने 2024 में पीएम बनने के देख रहे हैं।
सुशील मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल को सिर्फ 5 से 6 विधायक चाहिए और जीतनराम मांझी के चार लोग तो कभी भी पाला बदल सकते हैं. साथ ही जेडीयू के 2 से 3 विधायक तोड़कर भी राजद अलग सरकार बना सकती है। सुशील मोदी ने कहा कि ये सत्ता का खेल है, नीतीश कुमार अपनी पार्टी बचा लें। उन्होंने कहा कि नीतीश आईआरसीटीसी घोटाले की तेजी से जांच चाहते हैं जिससे तेजस्वी जेल चले जाएं और राजद को तोड़ा जा सके. वहीं राजद भी चाह रहा है कि जदयू के दो-तीन विधायकों को मिलाकर सरकार बनाई जाए।
सुशील मोदी के दावे में कितना दम, समझिए विधानसभा में सीट समीकरण से
बिहार विधानसभा में 243 सीट हैं जिसमें 2 खाली हैं। भरी हुई 241 सीटों में 79 आरजेडी, 19 कांग्रेस, 16 लेफ्ट, 4 हम और 1 निर्दलीय को लेकर 119 बनता है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के 1 विधायक को जोड़ दें तो 120 हो जाता है। जेडीयू के 45 और बीजेपी के 76 विधायक हैं। 241 की विधानसभा में बहुमत के लिए 121 विधायक चाहिए। इस समय नीतीश कुमार की सरकार के पास 165 विधायकों के समर्थन का दावा है जबकि फ्लोर टेस्ट में 160 वोट मिले।
सुशील मोदी का ये कहना है कि तेजस्वी यादव अगर नीतीश का तख्तापलट करते हैं तो उनको आरजेडी की सरकार बनाने के लिए मात्र दो-चार विधायकों का समर्थन चाहिए। ऐसा कई तरीकों से हो सकता है। एक तो ये कि ऐसा कुछ होता है तो फ्लोर टेस्ट में जेडीयू या बीजेपी के कुछ विधायक गैरहाजिर हो जाएं जिससे सदन में बहुमत का आंकड़ा नीचे आ जाए और 120 विधायकों के दम पर बहुमत साबित हो जाए। दूसरा तरीका ये हो सकता है कि जेडीयू या बीजेपी के कुछ विधायकों का इस्तीफा कराकर सदन में सदस्यों की कुल संख्या 238 के नीचे लाई जाए जिससे 119-120 विधायकों के दम पर ही सरकार बहुमत में आ जाए।
लेकिन ये सब ऐसी बात है जिसकी फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आती है। सुशील कुमार मोदी का यह शिगूफा संभव है कि आरजेडी और जेडीयू के बीच अविश्वास पैदा करने की एक कोशिश भर हो। बीजेपी ने सत्ता गंवाई है तो उसकी एक कोशिश महागठबंधन में टूट पैदा करने की हो सकती है जिसकी शुरुआत के लिए सुशील मोदी ऐसी बात करके शक का बीज डाल रहे हों।