दिल्ली उच्च न्यायालय ने सड़कों पर अवरोध और यातायात जाम की समस्या पैदा करने वाले मानव रहित बैरिकेड लगाने के लिए मंगलवार को दिल्ली पुलिस को आड़े हाथ लिया। अदालत ने कहा कि ये बैरिकेड जाम का बड़ा कारण बनते हैं। न्यायालय ने पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी को निजी तौर पर पेश होने का निर्देश भी दिया है।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की पीठ ने कहा कि ये सब क्या है। सड़कें परिवहन के लिए होती हैं या फिर इस तरह से अवरुद्ध किए जाने के वास्ते। हाईकोर्ट एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उच्च न्यायालय ने पहले प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र का स्वत संज्ञान लिया था। इस पत्र को बाद में दक्षिणी दिल्ली की कई सड़कों पर मानवरहित बैरिकेड लगाने के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ के पास भेजा गया था। शुरुआत में पीठ ने देखा कि शाम के व्यस्त समय में पुलिसकर्मी सड़कों पर बैरिकेड लगाते हैं और यातायात नियंत्रण पर ध्यान दिए बिना एक तरफ खड़े रहते हैं।
पीठ ने कहा कि एक मानवरहित बैरिकेड भी एक बड़े यातायात जाम का कारण बनता है। आप क्या सभी मार्गों को अवरुद्ध करके यातायात का प्रबंधन करते हैं।
प्रयोग न होने पर हटा दिया जाना चाहिए
उच्च न्यायालय ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में बताया है कि मोबाइल बैरिकेड की खरीद, रखरखाव और परिचालन उपयोग से जुड़े एक स्थायी आदेश को 2021 में संशोधित किया गया है। यह निर्देश दिया गया है कि इस्तेमाल में न होने पर बैरिकेड को सड़क और फुटपाथ से हटा दिया जाना चाहिए।
5 सिंतबर को सुनवाई
पीठ ने कहा कि विशेष पुलिस आयुक्त सुनवाई की अगली तारीख पर पीठ में इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट के साथ पेश होंगे कि 2021 के स्थायी आदेश का अनुपालन कैसे सुनिश्चित किया जाएगा। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच सितंबर की तारीख निर्धारित की है।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘जिसे भागना होता है, वह वैसे भी आपको चकमा देने में कामयाब हो जाता है। शाम छह बजे जब ट्रैफिक चरम पर होता है तो आप बैरिकेड लगा सड़कों को अवरुद्ध कर देते हैं। अगर किसी को स्वास्थ्य इमरजेंसी है तो उसे आधा घंटा रास्ते को पार करने में लगाना होगा और संभव है कि बीमार व्यक्ति समय पर अस्पताल न पहुंच पाए।’