दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य पर सीबीआई की छापेमारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ‘आप’ सरकार की आबकारी नीति बनाने और उसे लागू करने को लेकर इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
माना जा रहा है कि संघीय एजेंसी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत औपचारिक मामला दर्ज करने से पहले सीबीआई केस की डिटेल, विभिन्न सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों की संलिप्तता और प्रक्रिया में उत्पन्न अवैध धन के संभावित निशान तलाशने की जांच कर रही है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में एक एफआईआर दर्ज करने के बाद शुक्रवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी आरव गोपी कृष्णा और सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 19 अन्य स्थानों पर छापेमारी की। दिल्ली सरकार ने जुलाई में इस पॉलिसी को खत्म कर दिया था।
सिसोदिया के पास मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में आबकारी और शिक्षा सहित कई विभाग हैं।
दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने पिछले महीने आबकारी नीति 2021-22 के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद यह योजना जांच के दायरे में आई थी।
उन्होंने इस मामले में 11 आबकारी अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया था। सिसोदिया ने भी नीति में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग की थी।
अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई जांच की सिफारिश जुलाई में दायर दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी, जिसमें जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, व्यापार नियमों का लेनदेन (टीओबीआर)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन दिखाया गया था।
सूत्रों ने कहा कि ईडी अपनी जांच के दौरान इस बात का विश्लेषण करेगी कि क्या नीति निर्माण और संबंधित संस्थाओं में शामिल व्यक्तियों और कंपनियों ने ‘पीएमएलए की परिभाषा के तहत अपराध की आय’ और क्या अवैध या बेनामी संपत्ति का कोई संभावित निर्माण किया था।
ईडी के पास ऐसी संपत्तियों को कुर्क करने और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में लिप्त लोगों से पूछताछ करने, गिरफ्तार करने और मुकदमा चलाने का अधिकार है।
अधिकारियों के अनुसार, मुख्य सचिव की रिपोर्ट में नीति के माध्यम से शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ प्रदान करने के लिए जानबूझकर और सकल प्रक्रियात्मक चूक सहित प्रथम दृष्टया उल्लंघन दिखाया गया था।
आरोप है कि टेंडर दिए जाने के बाद शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय लाभ दिया गया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।
सूत्रों ने दावा किया कि आबकारी विभाग ने कोविड-19 के बहाने लाइसेंसधारियों को निविदा लाइसेंस शुल्क पर 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी। उन्होंने कहा कि इसने हवाईअड्डा क्षेत्र के लाइसेंस के लिए सबसे कम बोली लगाने वाले को 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि वापस कर दी, जब वह हवाईअड्डा अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में विफल रही।
एक सूत्र ने कहा कि यह दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के नियम 48(11)(बी) का घोर उल्लंघन था, जो स्पष्ट रूप से यह निर्धारित करता है कि सफल बोलीदाता को लाइसेंस प्रदान करने के लिए सभी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा।
विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई आबकारी नीति 2021-22 को पिछले साल 17 नवंबर से लागू किया गया था और इसके तहत निजी बोलीदाताओं को शहर भर में 32 क्षेत्रों में विभाजित 849 दुकानों के लिए खुदरा लाइसेंस जारी किए गए थे।