दिल्ली वन विभाग ने दक्षिण पश्चिम दिल्ली के आया नगर के सैकड़ों निवासियों को नोटिस जारी कर उनसे उस वन भूमि को खाली करने को कहा है जिस पर उन्होंने वर्षों से कब्जा किया हुआ है। आया नगर के निवासियों का दावा है कि लगभग 500 मकान मालिकों को नोटिस जारी किया गया है, जो 30 साल से अधिक समय से यहां रह रहे हैं।
नोटिस में कहा गया है कि 24 मई, 1994 की अधिसूचना के जरिए संबंधित क्षेत्र को संरक्षित वन घोषित किया गया है और निवासियों ने भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 26 का उल्लंघन कर भूमि पर अतिक्रमण कर लिया था।
नोटिस में कहा गया है कि संबंधित क्षेत्र को 24 मई, 1994 की अधिसूचना के माध्यम से ‘आरक्षित वन’ घोषित किया गया था और निवासियों ने भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26 का उल्लंघन करते हुए भूमि पर अतिक्रमण किया था।
3 अगस्त के नोटिस में कहा गया है कि अतिक्रमणकारियों को सात दिनों के भीतर वन भूमि खाली करनी होगी, जिसके बाद मकानों को गिरा दिया जाएगा और सभी सामग्री को जब्त कर लिया जाएगा।
वन विभाग ने गुरुवार को समय सीमा समाप्त होने के बाद कहा कि उसने अभी तक विध्वंस अभियान शुरू नहीं किया है। इसके अलावा विभाग ने कोई जानकारी नहीं दी।
नोटिस नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों के अनुसार जारी किया गया है, जिसने पिछले साल जनवरी में दिल्ली सरकार से रिज क्षेत्र की सुरक्षा के लिए आवश्यक कार्रवाई करने को कहा था। आया नगर निवासियों ने कहा कि इस क्षेत्र को वास्तविक जमीनी सच्चाई के बिना 1994 में ‘आरक्षित वन’ घोषित किया गया था।
एक निवासी ने कहा कि लोग यहां 1980 के दशक से रह रहे हैं। अधिकारियों ने पहले कभी ऐसा नोटिस जारी नहीं किया था। अब वो कहते हैं कि हमें इसे सात दिनों में खाली कर देना चाहिए।