बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने केंद्र सरकार पर संसद में विपक्ष को गैर जरूरी मुद्दों में उलझाकर सदन की कार्यवाही प्रभावित करने और राजनीतिक स्वार्थ साधने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इससे देश में हर तरफ निरंकुशता और ज्यादा बढ़ेगी।
मायावती ने हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में बसपा संगठन की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए संसद के मौजूदा सत्र में हंगामे का जिक्र करते हुए कहा "संसद सत्र के दौरान भी देश की ज्वलन्त समस्याओं पर समुचित चर्चा भी नहीं हो पाने से केन्द्र सरकार अपनी जिम्मेदारी ओढ़ने से बच जा रही है।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा विपक्षियों को नित्य दिन नए अवांछनीय विवादित मुद्दों में उलझाना और उन्हें उत्तेजित करके सदन की कार्यवाही को प्रभावित करके अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति करना सरकारों की नयी प्रवृति बन गई है, जो घोर अनुचित व जनविरोधी प्रवृति है तथा इससे देशहित बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
उन्होंने कहा, ” संसद व राज्यों में सदन के प्रति सरकारें गंभीर, जिम्मेदार व उत्तरदायित्व नहीं होंगी तो इससे देश में हर तरफ निरंकुशता और ज्यादा बढ़ेगी। मायावती ने कहा कि आज देश में कड़वी वास्तविकता यही है कि ऐसी कोई सरकार नहीं दिखती जो महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी के अलावा जनहित व जनकल्याण के सम्बंध में पूरी गंभीरता व ईमानदारी के साथ काम करने की स्थिति में हो। इसलिए नये भारत की नयी सुन्दर तस्वीर बनकर कोई राज्य नहीं उभर पा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पहले कांग्रेस के समय में जातिवाद, भ्रष्टाचार और द्वेष का अभिशाप देश को खोखला कर रहा था, मगर अब भाजपा राज्य में उसमें साम्प्रदायिक हिंसा, तनाव तथा सरकारी विद्वेष भी बड़े पैमाने पर शामिल हो गया है। ऐसे में देश के विकास के लिए जरूरी हिंसा व तनाव-मुक्त व्यवस्था का माहौल कहां से पैदा होगा?
मायावती ने कहा कि कांग्रेस-शासित छत्तीसगढ़, दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश व तेलंगाना राज्यों में भी जन अपेक्षा के अनुसार लोगों की सबसे बड़ी गरीबी व बेरोजगारी आदि की समस्या को दूर करने के लिए रोजी-रोजगार की ज़रूरत ठीक से पूरी नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा कि वहां भी परिवारों का बुरा हाल है, जो देश के अन्य राज्यों में लगातार बना हुआ है। यह अति-दुःखद है। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि महाराष्ट्र के बाद आज कल एक बार फिर से झारखंड की आदिवासी समाज के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार गिराए जाने के लिए षडयंत्र की चर्चायें काफी जोरों पर हैं। यह घोर अनुचित है।
उन्होंने कहा कि राजनीति में पहले अपराधियों का बोलबाला होने के कारण अस्थिर व बदनाम थी, मगर अब धनबल भी इसमें काफी ज्यादा हावी हो गया है। ऐसे में छोटी पार्टियों की सरकारों का जीवित रह पाना असंभव नहीं, तो काफी मुश्किल जरूर होता जा रहा है।