साइबर जालसाज ने दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉक्टर रणवीर सिंह के नाम पर उनके ओएसडी से दो लाख रुपये की ठगी कर ली। जालसाज ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी की तस्वीर लगे व्हाट्सएप नंबर से ओएसडी को मैसेज कर इस वारदात को अंजाम दिया। शुक्रवार को हुई इस वारदात की एफआईआर उत्तर जिला साइबर थाना पुलिस ने दर्ज कर ली है और आरोपी की तलाश में जुटी है।
जानकारी के अनुसार, 46 वर्षीय जितेंद्र लाल गुप्ता दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रणवीर सिंह के ओएसडी हैं। वह ओल्ड स्टीफंस बिल्डिंग में बैठते हैं। पीड़ित ने बताया कि उनके व्हाट्सएप पर अंजान नंबर से मैसेज आया। डीपी पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी रणवीर सिंह की फोटो लगी थी। इससे पीड़ित ने मैसेज को सही मान लिया। पीड़ित जितेंद्र ने बताया कि मैसेज में पहले उनकी लोकेशन पूछी गई। इसके बाद लिखा था कि मैं आवश्यक मीटिंग में हूं। यहां मैं फोन कॉल उठाने की स्थिति में नहीं हूं। तुरंत दो लाख रुपये के अमेजन गिफ्ट वाउचर ई-मेल कर दो।
जालसाज ने लिखा, मैं मीटिंग में व्यस्त हूं
जितेंद्र ने कॉल की लेकिन दूसरी तरफ से मीटिंग में होने की वजह से फोन नहीं उठाने की बात कही गई। जितेंद्र को लगा कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी बेहद व्यस्त हैं तो वह अमेजन ई-गिफ्ट वाउचर खरीदने में जुट गए। लेकिन, मैसेज में जो लिंक आया था, उस पर क्लिक करने पर जितेंद्र का अमेजन अकाउंट ब्लॉक हो गया। इसके बाद उन्होंने अपने साथी संदीप तिवारी से सहायता ली। जितेंद्र ने संदीप के अमेजन अकाउंट से दो लाख रुपये के अमेजन गिफ्ट वाउचर खरीदे, जिसका भुगतान उन्होंने अपने बैंक खाते से किया। इसके बाद गिफ्ट वाउचर के लिंक को व्हाट्सएप पर भेज दिया। कुछ देर बाद जितेंद्र ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को उनके सरकारी मोबाइल नंबर पर फोन किया तो ठगी का पता चला।
क्या सावधानी बरतें
व्हाट्सऐप की प्राइवेसी सेटिंग में बदलाव करें ताकि सिर्फ कॉन्टैक्स लिस्ट में मौजूद लोग ही प्रोफाइल पिक देख सकें।
फेसबुक पर भी पिक्चर लॉक रखें, ताकि कोई फोटो न ले।
कोई अंजान नंबर से मैसेज कर रुपये मांगे तो उसके पहले से मौजूद नंबर पर पुष्टि करें।
व्यक्ति से बात न होने की स्थिति में उसके किसी नजदीकी व्यक्ति को भी फोन कर जानकारी लें।
मदद मांगने वाले व्यक्ति की पुष्टि होने तक रुपये न भेजें।
इस तरह ठग रहे
व्हाट्सऐप पर वरिष्ठ अधिकारी की फोटो लगाते हैं
मातहतों को मैसेज भेजकर बैंक खाते में रुपये जमा करने को कहते हैं
मैसेज में खुद के मीटिंग में होने के चलते फोन पर बात करने में असमर्थ बताते हैं
संदेह होने की स्थिति में भी मातहत बड़े अधिकारी को कॉल कर पूछने में झिझकते हैं
रुपये भेजने के बाद जब अधिकारी से बात होती है तब ठगी का पता चलता है
लोकेशन बिहार में
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस तरह से ठगी के कुछ और भी मामले सामने आए हैं। जांच में पता चला है कि गिरोह के सदस्य पटना, नालंदा और आरा में सक्रिय हैं। फिलहाल, आरोपियों की गिरफ्तारी की कोशिश की जा रही है।