शिवसेना सांसद संजय राउत को आज चार अगस्त तक ईडी की कस्टडी में भेज दिया गया। इससे पहले ईडी ने आज संजय राउत, उनकी पत्नी और करीबी प्रवीण राउत से जुड़ी 11 करोड़ की संपत्ति को पीएमएलए एक्ट के तहत अटैच कर दिया। यह सारी कार्रवाई पात्रा चॉल स्कैम के तहत की गई है। ईडी मुंबई के गोरेगांव के इस रीडेवलमेंट प्रोजेक्ट से जुड़ी अनियमितताओं की जांच कर रही है। बताया जाता है कि प्रवीण राउत संजय राउत का बेहद करीबी है। वह गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर है, जो गोरेगांव में पात्रा चॉल के रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट में शामिल था।
ऐसे शुरू हुई पूरी कहानी
करीब 47 एकड़ की पात्रा चॉल महाराष्ट्र हाउसिंग एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) की है और इसमें 672 किराएदार रहते हैं। प्रवीण राउत के गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड का म्हाडा और किरादारों के साथ इसके पुननिर्माण को लेकर एग्रीमेंट हुआ था। उन्हें यहां फ्लैट्स बनाकर म्हाडा को हैंडओवर करने थे। ईडी के मुताबिक प्रवीण राउत और हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के राकेश कुमार वाधवा, सारंग वाधवा और गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन के अन्य निदेशकों ने इसकी जमीन के कुछ हिस्से को 1,034 करोड़ रुपए में विभिन्न बिल्डर्स को गैरकानूनी ढंग से बेच दिया। आरोपों के मुताबिक ऐसा करने से पहले म्हाडा को वह फ्लैट्स भी नहीं हैंडओवर किए गए, जिसके बारे में एग्रीमेंट में तय हुआ था।
संजय राउत का फ्रंट मैन प्रवीण
ईडी ने कोर्ट में बताया कि प्रवीण राउत संजय राउत का फ्रंट मैन था। एजेंसी ने जांच के दौरान 1.06 करोड़ रुपए की रकम का पता लगाया है जो प्रवीण राउत के जरिए संजय राउत और उनके परिवार तक पहुंची है। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि संजय राउत को प्रवीण हर महीने 2 लाख रुपए देते थे। इसके अलावा शिवसेना नेता और उनके परिवार के कुछ सदस्यों के लिए विदेश यात्रा भी प्रायोजित की थी।
बैंक लोन भी लिया था
ईडी के मुताबिक जांच में यह सामने आया है कि गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड का निदेशक होने के नाते प्रवीण राउत ने इस रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट में सक्रिय भूमिका निभाई थी। उसने ही राकेश कुमार वाधवा और सारंग वाधवा के साथ मिलकर 1000 करोउ़ से ज्यादा के इस घोटाले को डायवर्ट करने की कोशिश की थी। इससे 672 किराएदारों और खरीददारों को नुकसान पहुंचा था। ईडी यह जांच मुंबई पुलिस की एक एफआईआर के आधार पर कर रही है। ईडी के स्टेटमेंट में यह भी कहा गया है कि विभिन्न बिल्डरों से मिले 1,034 करोड़ रुपए के अलावा आरोपियों ने बैंक लोन भी लिए थे।
2010 में खाते में आए थे 95 करोड़
ईडी के अधिकारियों के मुताबिक 2010 में प्रवीण राउत के बैंक खाते में 95 करोड़ रुपए जमा हुए थे। यह रकम इक्विटी सेल और जमीन की बिक्री से आई थी। हालांकि उसकी कंपनी प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर पाई थी और कोई कमाई नहीं हुई थी। ईडी के मुताबिक प्रवीण राउत के अकाउंट में एचडीआईएल द्वारा 100 करोड़ की रकम ट्रांसफर हुई थी। बाद में प्रवीण ने यह रकम अपने करीबी सहयोगियों, परिवारीजनों, बिजनेस के साथियों समेत अन्य के खातों में ट्रांसफर कर दिया था।
संजय की पत्नी के खाते में भी पैसे
2010 में इसी मामले से जुड़े 83 लाख रुपए संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत के खाते में पहुंचे थे। ईडी अफसरों के दावे के मुताबिक यह रकम प्रवीण राउत की पत्नी, माधुरी प्रवीण राउत द्वारा दी गई थी। बताया जाता है कि इस पैसे का इस्तेमाल करके वर्षा ने दादर में एक फ्लैट खरीदा था। अफसरों ने यह भी दावा किया है कि ईडी की जांच शुरू होने के बाद वर्षा राउत ने माधुरी राउत को 55 लाख की रकम वापस की थी। इसके अलावा भी कई अन्य ट्रांजैक्शंस हुए हैं। ईडी ने यह भी आरोप लगाया है कि किहिम बीच पर 8 प्लॉट भी वर्षा राउत और स्वप्ना पाटकर के नाम पर खरीदे गए थे। स्वप्ना पाटकर संजय राउत के एक अन्य करीबी सुजीत पाटकर की पत्नी हैं। इसी जमीन डील में विक्रेताओं को रजिस्टर्ड वैल्यू के अलावा कैश में भी पेमेंट किया गया था।