समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा ‘जहां चाहें जाएं’ कहे जाने के बाद सुभासपा चीफ ओमप्रकाश राजभर ने अपने अगले कदम के बारे में पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं लेकिन लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि बीजेपी के प्रति बदले सुर का राजभर को जल्द ही कोई इनाम मिल सकता है।
कहा जा रहा है कि बीजेपी ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविदं राजभर को विधान परिष्द में भेज सकती है। हालांकि इसकी पुष्टि फिलहाल न तो ओमप्रकाश राजभर की ओर से कोई कर रहा है और न ही बीजेपी की ओर से। बता दें कि यूपी विधान परिषद की दो सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया सोमवार को शुरू हो गई। 11 अगस्त को इन दोनों सीटों पर मतदान होना है।
ये सीटें सपा नेता अहमद हसन के निधन और भाजपा के ठाकुर जयवीर सिंह के विधायक चुने जाने के बाद खाली हुई हैं। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों के बाद से लगातार विजय रथ पर सवार भाजपा इन दोनों सीटों पर भी आसानी से काबिज हो सकती है। खबर है कि सपा इन सीटों पर प्रत्याशी नहीं उतारने जा रही है। वैसे इन सीटों पर उम्मीदवारी के लिए कई भाजपा नेताओं के नाम चर्चाओं में हैं। संभावना है कि चुनाव की नौबत न आए। ऐसे में दोनों सीटों के भाजपा के खाते में जाना तय माना जा रहा है।
ऐसी भी चर्चा है कि भाजपा एक सीट पूरब और दूसरी पश्चिम के खाते में दे सकती है। महामंत्री अमरपाल मौर्य, उपाध्यक्ष संतोष सिंह, प्रदेश मंत्री डा. चंद्रमोहन सिंह, देवेश कोरी, क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल, क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह, महामंत्री प्रियंका रावत और प्रदेश मंत्री अर्चना मिश्रा के नाम टिकट के लिए चर्चा में हैं।
इस बीच प्रदेश की राजनीति में कुछ नए संकेत भी दिखने लगे हैं। समाजवादी पार्टी गठबंधन से पिछला विधानसभा चुनाव लड़ने वाले ओमप्रकाश राजभर अचानक सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर सियासी हमले बोलने लगे हैं। इसके साथ ही पिछले कुछ दिनों में वह सीएम योगी आदित्यनाथ की कई बार तारीफ कर चुके हैं। अब जब अखिलेश यादव ने उन्हें गठबंधन तोड़ने के लिए आजाद कर दिया है अगले कदम को लेकर वह साफ-साफ कुछ नहीं कह रहे।
उनकी पार्टी सामाजिक न्याय की लड़ाई का हवाला देकर बसपा के साथ तालमेल को प्राथमिकता बता रही है लेकिन बीजेपी से तालमेल की सम्भावनाओं को नकार नहीं रही है। सोमवार को ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि बीजेपी से अभी तक कोई ऑफर नहीं आया है। जब आएगा तो विचार करेंगे। कहा जा रहा है कि पार्टी के अंदर तमाम विकल्पों पर बातचीत हो रही है और तीन-चार दिन में तस्वीर साफ हो जाएगी। इस बीच बीजेपी विधान परिषद चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई तो ओमप्रकाश राजभर के बेटे के नाम को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं।
राष्ट्रपति चुनाव में राजभर ने एनडीए का दिया साथ
गौरतलब है कि हालिया सम्पन्न राष्ट्रपति चुनाव में ओमप्रकाश राजभर ने एनडीए का साथ दिया था। इसके बाद योगी सरकार द्वारा उन्हें वाई श्रेणी सुरक्षा दिए जाने पर तरह-तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं। यह भी कहा गया कि राजभर जल्द ही योगी सरकार का हिस्सा बन सकते हैं। अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी उनके बेटे को विधान परिषद में भेजकर रिटर्न गिफ्ट दे सकती है। हालांकि इसकी पुष्टि फिलहाल न तो ओमप्रकाश राजभर की ओर से कोई कर रहा है और न ही बीजेपी की ओर से।
आकाश आनंद ने सोमवार को एक ट्वीट में राजभर का नाम लिए बगैर उन पर हमला करते हुए कहा था कि कुछ लोग बसपा मुखिया मायावती के नाम पर अपनी दुकान चलाना चाहते हैं और ऐसे स्वार्थी लोगों से सावधान रहना चाहिए। अरुण राजभर ने आनंद के बयान के बारे में पूछे जाने पर यहां संवाददाताओं से कहा कि उनका जो कहना है, वह उनकी अपनी राय है। हमने सिर्फ अपनी प्राथमिकताओं के बारे में बात की है। हम ना तो बसपा के पास गए हैं और ना ही उसके नेतृत्व से कोई बात की है। उन्होंने कहा कि सियासत में सब कुछ अनिश्चित है और राजनीतिक समीकरण बदलते रहते हैं तथा उन्हीं के मुताबिक फैसला लिया जाता है।