दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को उच्च न्यायालय को बताया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर हुई तोड़फोड़ के मामले में निचली अदालत में 30 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दी गई है। पुलिस ने सीलबंद लिफाफे में मामले की ताजा स्थिति रिपोर्ट पेश करते हुए न्यायालय को यह जानकारी दी है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने पुलिस की रिपोर्ट को देखने के बाद मामले में अंतिम बहस के लिए अगली सुनवाई 8 अगस्त तय की है। इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंह ने पीठ को बताया कि बुधवार की शाम मुख्यमंत्री सचिवालय को पिछली स्थिति रिपोर्ट मिल गई है। उन्होंने कहा है कि ‘यह एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के आवास में घुसपैठ का मामला है और इसकी एसआईटी से जांच होनी चाहिए थी।
मामले की सुनवाई शुरू होने पर दिल्ली पुलिस की ओर से अधिवक्ता संजय लाऊ ने यह स्थिति रिपोर्ट पेश की। इस पर पीठ ने उनसे जानना चाहा कि रिपोर्ट क्या है। इसके जवाब में अधिवक्ता ने कहा कि इसमें मामले की जांच के बारे में विस्तृत जानकारी है और इस मामले में 30 आरोपियों के खिलाफ संबंधित अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है। अधिवक्ता लाऊ ने पीठ को बताया कि मुख्यमंत्री आवास पास गेट लगाने का काम 60 फीसदी पूरा हो चुका है और बाकी काम जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।
मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त अनीता राय भी मौजूद रही है। मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से कहा गया कि यदि न्यायालय रिपोर्ट से संतुष्ट है तो मामले को अब बंद कर दिया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि एकतरफा सुनवाई नहीं हो सकती, हमें कुछ भी नहीं मिला है, मामले में सहभागी सुनवाई होनी चाहिए।
पुलिस की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि मामले में याचिकाकर्ता का कोई लॉकस नहीं है। उन्होंने कहा कि आपके (याचिकाकर्ता) शिकायत का संज्ञान लिया गया है, अब मामला अदालत और दिल्ली पुलिस के बीच है। इस पर न्यायालय ने कहा कि यह परस्पर वार्ता का मंच नहीं है, आइए हम पहले रिपोर्ट की जांच करें।
पीठ ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं देने और सड़क के प्रवेश और निकास पर एक गेट बनाने का फैसला किया है। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि इस इलाके में मुख्यमंत्री आवास के साथ-साथ कई अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी के आवास हैं, यह तीसरी घटना है। उन्होंने कहा सड़क के उस हिस्से को विरोध मुक्त बनाना क्या मुश्किल है? विरोध के लिए जंतर-मंतर है। मेहरा ने पीठ को बताया कि वे (पुलिस) क्यों हिचकिचा रहे हैं, राष्ट्रपति भवन में धारा 144 लगा है और वे इसे नवीनीकृत करना जारी रखते हैं। मुख्यमंत्री आवास के बाहर 144 लागू करने में क्या परेशानी है।
इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और साथ ही अब सिविल लाइंस मेट्रो स्टेशन पर किसी भी विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश मेहरा ने पहले कहा था कि राष्ट्रपति भवन और अन्य जगहों जैसे सदन के आसपास धारा 144 लगाने पर भी विचार किया जाना चाहिए।
आप विधायक भारद्वाज ने पीठ को बताया कि उनकी पार्टी शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार का पुरजोर समर्थन करती है, भले ही ऐसा विरोध दिल्ली सरकार के खिलाफ क्यों न हो। हालांकि भारद्वाज की ओर से कहा गया है कि विरोध के नाम पर, हिंसा की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और उसे माफ नहीं किया जाना चाहिए। फिल्म कश्मीर फाइल को लेकर मुख्यमंत्री केजरीवाल की टिप्पणी को लेकर भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन किया और इसी दौरान तोड़फोड़ हुई।
सिंघवी से पूछा आप कब बहस करना चाहेंगे
न्यायालय ने याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि वह इस मामले में कब बहस करना चाहेंगे। इस पर सिंघवी ने उन्हें कल बुधवार की शाम को स्थिति रिपोर्ट की मिली है, इसका अध्ययन करने के लिए समय चाहिए। इसके बाद पीठ ने 8 अगस्त, 2022 के लिए सूचीबद्ध किया। इस मामले में पिछली पर पीठ ने कहा था ‘चूंकि मामला मुख्यमंत्री की सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए हम याचिकाकर्ता के साथ स्थिति रिपोर्ट साझा करने के इच्छुक नहीं हैं।’ हालांकि, रिपोर्ट की प्रति मुख्यमंत्री सचिवालय को भेजी जाए।