मध्य प्रदेश निकाय चुनाव के लिए जैसे-जैसे वोटिंग की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे चुनावी रोमांच भी बढ़ता जा रहा है। पिछले कई चुनावों की तरह इस बार भी भाजपा और कांग्रेस के बीच जोरदार टक्कर है। दो बड़े दलों के मुकाबले के बीच दो अन्य दल भी मध्य प्रदेश में घुसपैठ की फिराक में हैं। एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी, दोनों ही दलों का पहले मध्य प्रदेश से कोई खास लगाव नहीं था, लेकिन स्थानीय निकाय चुनावों में दोनों ने अपने-अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है।
आप ने 16 नगरीय निकायों में से 14 सीटों पर महापौर प्रत्याशी उतारे हैं। इसके अलावा उसके लगभग 2000 पार्षद प्रत्याशी चुनावी मैदान में नजर आ रहे हैं। पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 2 जुलाई को सिंगरौली भी पहुंचे थे। जहां उन्होंने महापौर प्रत्याशी रानी अग्रवाल के पक्ष में चुनावी रैली की थी। इसके साथ ही कई ऐसे पूर्व पार्षद हैं, जो भाजपा या कांग्रेस से चुनाव लड़ा करते थे, उनमें से भी कई नेता ‘आप’ में शामिल हो गए हैं। भोपाल की उत्तर विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे पार्षद रहें हैं, जो अब अपनी किस्मत आम आदमी पार्टी से आजमाने वाले हैं।
मुस्लिम वोटर्स पर ओवैसी की नजर
आईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी एमपी में कई दौरे कर चुके हैं। अपने दौरे के दौरान उन्होंने कहा कि वह सत्ता के लिए नहीं, बल्कि मुसलमानों की लीडरशिप मजबूत हो, इसके लिए आए हैं। उन्होंने कहा था कि भोपाल, इंदौर, जबलपुर, खंडवा, खरगौन, बुरहानपुर और रतलाम में उनकी पार्टी स्थानीय चुनाव लड़ रही है। इसमें से सिर्फ 2 जगह पार्टी ने मेयर पद के प्रत्याशी उतारे है और पार्षद प्रत्याशी भी उन क्षेत्रों में खड़े किए गए हैं, जहां मुसलमान वोटरों की जनसंख्या ज्यादा है।
तीसरे विकल्प पर निगाहें
रोमांचक होते चुनाव के बीच लोगों की निगाह इस बात पर है कि क्या सूबे में कोई तीसरा विकल्प खड़ा हो सकता है? एमपी में हमेशा ही कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला देखा गया है। अब तक इन दो दलों के अलावा तीसरी पार्टी जनता के दिल में जगह नहीं बना सकी है। भाजपा और कांग्रेस के अलावा एमपी में जिन क्षेत्रीय पार्टियों ने पैठ बनाने की कोशिश की, उसमें बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, जेडीयू और भारतीय जनशक्ति पार्टी प्रमुख रही हैं। हालांकि इनमें से कोई भी पार्टी भाजपा-कांग्रेस को टक्कर नहीं दे पाई है।
सपा-बसपा ने 2018 में निकाली थीं सीटें, लेकिन…
अगर बीएसपी की बात करें तो बीते विधानसभा चुनावों में पार्टी को सिर्फ 2 सीटें मिली थीं। इसमें से एक विधायक भाजपा में शामिल हो चुका है यानी वर्तमान में बीएसपी के पास सिर्फ एक विधायक है। इसी तरह समाजवादी पार्टी को 2018 में एक सीट ही हासिल हुई थी। हालांकि अब समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीतने वाले राजेश शुक्ला भाजपा में शामिल हो चुके हैं।