भीषण आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान में अब एक और बड़ा संकट सामने आ गया है। पाकिस्तान में इन दिनों कागज की भयंकर कमी है। हालत यह है कि यहां के कागज संगठनों का कहना है कि इस संकट के चलते अगस्त से शुरू हो रहे अकादमिक सत्र में छात्रों को किताबें नहीं मिल पाएंगी। इस आशंका के बीच पाकिस्तान के शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
दरअसल, इस समय पाकिस्तान में कागज की भारी कमी है। देश के पेपर एसोसिएशन ने कहा है कि देश में पेपर संकट के कारण अगस्त से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक वर्ष में छात्रों को किताबें उपलब्ध नहीं होंगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान में छपाई और पैकेजिंग में करीब 18000 कंपनियां शामिल हैं। लेकिन सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा अब इन कंपनियों और उनके सप्लाई चेन मैनेजमेंट को भुगतना पड़ रहा है।
उधर इस संकट का असर शिक्षा क्षेत्र पर पड़ेगा। पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान ने भी कहा कि सिंध, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में स्कूल बोर्ड आगामी शैक्षणिक वर्ष के लिए नई पाठ्यपुस्तकें नहीं छाप पाएंगे और लाखों छात्रों को पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध नहीं कराई जाएंगी। इसके अलावा, पाठ्यपुस्तकों की अनुपलब्धता मध्यम वर्ग के छात्रों को प्रभावित करेगी।
पाकिस्तान में प्रिंटिंग और पैकेजिंग से जुड़ी कंपनियों को सरकारी नीतियों के चलते भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। किताब प्रकाशकों ने चेतावनी दी है कि अगर देश में बनने वाले कागज के दाम तय नहीं किए जाते हैं कि इस साल छात्रों के लिए किताबों की भारी कमी हो जाएगी। इसके अलावा घरेलू कंपनियां मांग के अनुपात में कागज का उत्पादन भी नहीं कर पा रही हैं।
पब्लिशर्स एंड बुकसेलर एसोसिशएन के प्रमुख अजीज खालिद ने कहा कि जनवरी के बाद से घरेलू कागज के दाम 100 रुपये प्रति किलो बढ़ गए हैं। हर हफ्ते कीमतों में पांच से आठ रुपये का इजाफा हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस काबू में करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। इससे पब्लिशिंग और प्रिंटिंग कंपनियां भारी नुकसान झेल रही हैं। प्रकाशकों के पास भी कागज की भारी कमी चल रही है।
पाकिस्तान में कागज की कमी ऐसे समय हुई है, जब यहां के स्कूल और कॉलेज अगस्त से नए सत्र की तैयारियों में जुटे हैं। प्रकाशकों का कहना है कि कागज की कमी के चलते सिंध, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा के स्कूल बोर्ड नहीं किताबें नहीं छाप सकेंगे। दूसरी तरफ कागज की कमी के चलते इनके दाम आसमान छू रहे हैं। जबकि कुछ स्कूल और कॉलेज छात्रों के परिजनों पर दबाव बनाकर उन्हें महंगे दामों में किताबें खरीदने पर मजबूर कर सकते हैं।
गौरतलब है कि प्रत्येक क्षेत्र में पाकिस्तान इन दिनों आर्थिक संकट से ही जूझ रहा है। पाकिस्तान के विशेषज्ञों का मानना है कि इन सभी समस्याओं के लिए अक्षम और असफल शासक जिम्मेदार हैं। आर्थिक समस्याओं का समाधान कैसे होगा जब सरकारें पिछले ऋणों को वापस करने के लिए फिर से लोन ले रही हैं।