एक अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर मृतक के परिजन कफन और एंबुलेंस लेकर खड़े थे। उन्होंने मरने वाले घर के सदस्य के अंतिम संस्कार की सभी तैयारियां कर ली थी। लेकिन अचानक मुर्दाघर के अंदर ऐसी क्या गड़बड़ हो गई कि वहां हंगामा मच गया। परिजनों को अब भी मृतक के अंतिम संस्कार का इंतजार है। पूरा मामला थाने की दहलीज तक पहुंच गया है।
दरअसल बीते 21 जून को भैराराम नाम के एक युवक को जोधपुर के मुथरा दास माथुर (MDM) अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले भैराराम की मौत 24 जून हो गई। भैराराम के भाई भूराराम के मुताबिक, उनके घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी इसलिए भैराराम के अंतिम संस्कार के लिए पैसों का इंतजाम 24 जून को नहीं हो सका। इधर भैराराम की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने शव को मुर्दाघर में रखवा दिया था।
रविवार की सुबह भूराराम अपने भाई की डेड बॉडी लेने लिए निकले थे। परिवार ने पैसों का इंतजाम कर कफन, एंबुलेंस और अन्य सामानों की व्यवस्था की थी। वो पुलिस को लेकर सीधे एमडीएम अस्पताल के मुर्दाघर में पहुंचे। यहां केयर टेकर ने मुर्दाघर में रखे सभी शवों को देखने के बाद भूराराम को बताया कि उनके भाई का शव मॉर्च्यूरी में नहीं है। इसके बाद तो वहां हंगामा खड़ा हो गया। परिजन शव के लिए हंगामा करने लगे। शास्त्रीनगर थाने में अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ केस दर्ज करा दिया गया।
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अतिरिक्त जिला कलेक्टर राजेंद्र डांगा, उपखंड अधिकारी सुरेंद्र सिंह राजपुरोहित सहित पुलिस अमला वहां पहुंच गया। खुलासा हुआ कि अस्पताल प्रबंधन से एक बड़ी चूक हुई है। मुर्दाघर के कर्मचारियों ने भैराराम का शव भूलवश एक एनजीओ को दे दिया था और उस एनजीओ ने शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया था।
बहरहाल अब इस मामले में भैराराम के परिजनों को 1 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिये गये हैं। प्रशासन ने यह भी कहा है कि वो मृतक की अस्थियां उनके परिजनों को दिलवाने की कोशिश में है ताकि उसका अंतिम संस्कार किया जा सके।