दिल्ली में राजेंद्र नगर सीट पर हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 11 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया है। पहली नजर में भाजपा नेता और समर्थक इसे महज एक सीट पर उपचुनाव की हार कहकर नजरअंदाज कर सकते हैं, लेकिन 2020 विधानसभा चुनाव के बाद यह भगवा दल की पहली हार नहीं है। करीब ढाई दशक से दिल्ली की सत्ता से दूर भाजपा को दिल्ली के दंगल में बार-बार पटखनी मिल रही है। पिछले 2 साल में ही बीजेपी को एमसीडी और विधानसभा की 6 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है, जिसमें से 5 पर ‘आप’ ने पटका है।
राजेंद्र नगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव से पहले भाजपा को पिछले साल मार्च में भी एमसीडी की पांच सीटों पर उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। यहां तक की शालीमार बाग जैसे गढ़ में भी पार्टी को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। शालिमार बाग के अलावा ‘आप’ ने रोहिणी सी, त्रिलोकपुरी और कल्याणपुरी में जीत हासिल की थी। वहीं, जौहान बांगर सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी।
एमसीडी चुनाव पर होगा असर?
हाल ही में केंद्र की बीजेपी सरकार ने तीनों एमसीडी का एकीकरण किया है और इस वजह से चुनाव में देर हो चुकी है। राजधानी में जल्द ही नगर निगम चुनाव हो सकते हैं। राजेंद्र नगर सीट पर जीत से उत्साहित ‘आप’ नेताओं ने बीजेपी को एमसीडी चुनाव कराने की चुनौती देना शुरू कर दिया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस हार ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। काडर का मनोबल कमजोर होने से भाजपा को एमसीडी चुनाव में भी नुकसान की आशंका है।
लोकसभा चुनाव में दिल्ली ने दिल खोलकर दिया वोट
भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि लोकसभा चुनाव में दिल्ली ने उसे दिल खोलकर वोट दिया है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सात सीटों पर कब्जा जमाया है। पिछले लोकसभा चुनाव में चांदनी चौक से हर्षवर्धन, पूर्वी दिल्ली से पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर, नई दिल्ली से मीनाक्षी लेखी, उत्तर पूर्वी दिल्ली से मनोज तिवारी, उत्तर पश्चिमी दिल्ली से हंस राज हंस, दक्षिणी दिल्ली से रमेश बिधूड़ी और पश्चिमी दिल्ली से प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने जीत हासिल की थी। इन सभी नेताओं को 52 से लेकर 60 फीसदी वोट शेयर हासिल हुआ था।