तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने अफगानिस्तान तालिबान सरकार द्वारा बातचीत के बाद पाकिस्तान की सरकार के साथ अनिश्चितकालीन संघर्ष विराम की घोषणा की है। TTP ने कहा है कि काबुल में वार्ता में पर्याप्त प्रगति हुई है और संघर्ष विराम को अगली सूचना तक बढ़ा दिया गया है। न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तानी सरकार के एक अधिकारी ने कहा है कि बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है।
TTP का अफगान तालिबान के साथ घनिष्ठ संबंध
TTP पाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर क्षेत्र के पाकिस्तानी क्षेत्रों में शरीयत कानून की अपनी अल्ट्रा हार्ड-लाइन व्याख्या लागू करना चाहता है। यह क्षेत्र लंबे वक्त से गतिविधियों का गढ़ रहा है। बता दें कि TTP सालों से पाकिस्तानी सशस्त्र बलों से लड़ रही है। इस समूह का अफगान तालिबान के साथ घनिष्ठ लेकिन अस्पष्ट संबंध रहा है।
काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद TTP ने तेज किए हमले
तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा किए जाने के बाद TTP ने तालिबान की तारीफ कहते हुए पाकिस्तान में इसी तरह के शासन की बात कही थी। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से TTP ने पाकिस्तान में हमले तेज कर दिए हैं। पिछले कुछ महीनों में कई सैन्य और सरकारी ठिकानों पर हमले किए गए हैं जिसमें दर्जनों पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं।
इस तरह के समझौते टूटते रहे हैं
काबुल में चल रही बातचीत चरमपंथियों, पाकिस्तानी राजनेताओं और कबायली बुज़ुर्गों के बीच चल रही है। हालांकि यह साफ नहीं है कि समझौते की शर्तें क्या हो सकती हैं। इससे पहले भी दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ था जो कि 30 मई को टूट गया था। इस तरह के समझौते इतिहास में पहले भी टूटे हैं।
TTP के बारे में जानते जाइए
TTP की स्थापना 2007 में इस्लामाबाद में लाल मस्जिद मस्जिद को साफ करने वाले एक पाकिस्तानी सैन्य अभियान के जवाब में की गई थी। यहां एक कट्टरपंथी उपदेशक का बोलबाला था। ग्रुप के संस्थापक बैतुल्ला महसूद को कभी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का करीबी माना जाता था।
बीबीसी से बात करते हुए यूएस मिलिट्री एकेडमी में सहायक प्रोफेसर अमीरा जादून के अनुसार अफगानिस्तान और पाकिस्तानी तालिबान के बीच संबंध अमेरिका में 11 सितंबर 2001 के हमलों और उसी साल बाद में अफगानिस्तान में पहली तालिबान सरकार के पतन के समय से हैं।