भागलपुर के भीखनपुर गुमटी नंबर 3 के पास गुरुवार को रेलवे की जमीन से अवैध कब्जा हटाने पहुंचे रेल अधिकारियों और आरपीएफ पर लोगों ने पथराव कर दिया। कुछ पुलिसकर्मियों को चोटें भी आयीं। जब वहां रह रहे लोगों ने ईंट पत्थर चलाते हुए आरपीएफ को खदेड़ा तो उनलोगों ने इशाकचक थाने में घुसकर अपनी जान बचायी। यहां रह रहे लोगों को 27 मई को दूसरी बार नोटिस दिया गया था और एक जून तक रेलवे की जमीन से कब्जा हटाने को कहा गया था।
नोटिस में ही कहा गया था कि कब्जा नहीं हटाने पर 2 जून को रेलवे कार्रवाई कर झुग्गी-झोपड़ी एवं दुकानों को हटा देगा। इसलिए गुरुवार को रेलवे के आईओडब्ल्यू इंजीनियर ललन कुमार आरपीएफ एवं अन्य रेलकर्मियों के साथ वहां पहुंचे थे। सूचना यह भी मिली कि लोगों ने पास के रेलवे कॉलोनियों में भी ईंट पत्थर चलाए। पथराव के दौरान वह इलाका रणक्षेत्र बना रहा। लोग इधर-उधर भागते दिखे।
कुछ स्थानीय लोगों की ओर भी ईंट पत्थर आए। उस रोड से गाड़ियों का आना-जाना थम गया। खासकर महिलाओं ने जमकर ईंट-पत्थर चलाए। दर्जन भर महिलाओं और बच्चों ने मिलकर ईट-पत्थर और डंडे से लैस होकर आरपीएफ और अतिक्रमण हटाने आई टीम को खदेड़ कर भगा दिया। इस दौरान आरपीएफ के जवान छिपने के लिए डाक विभाग के ऑफिस में पहुंचे तो उपद्रवियों ने वहां भी ईट-पत्थर चलाना शुरू कर दिया।
लोगों का आरोप था कि रेलकर्मियों ने अतिक्रमण हटाने के दौरान एक बच्चे को चोट लगा दिया। बताया गया कि अनिल शर्मा का बेटा अंशु शर्मा घायल हो गया। लोगों ने कहा कि इसलिए विरोध किया गया। वहीं रेल अधिकारियों ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के दौरान एक घर से लगभग एक किलो गांजा निकल गया। घरवाले को लगा कि अब पुलिस की कार्रवाई होगी, इसलिए उनलोगों ने पथराव करना शुरू कर दिया।
बहरहाल, घटना के बाद इशाकचक थाने की पुलिस ने मोर्चा संभाला और हंगामा कर रहे लोगों को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया। माहौल बिगड़ जाने के कारण अतिक्रण हटाने का काम रोक दिया गया। आईओडब्लू ने कहा कि अब मजिस्ट्रेट और सुरक्षबालों की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाया जाएगा। इस घटना की जानकारी वरीय अधिकारियों को दी गई है।
बता दें कि दो दिन पहले रेलवे ने भागलपुर-दुमका रेलखंड पर कोइली-खुटहा के पास रेलवे लाइन के किनारे बसे 50 से अधिक झुग्गी-झोपड़ियों को हटाया था। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रेलवे की जमीनों पर से अतिक्रमण हटाने का काम किया जा रहा है। यह लगातार जारी रहेगा।
अधिकारी बोले- कुछ उपद्रवियों ने माहौल बिगाड़ा
आईओडब्लू ललन कुमार की मानें तो अतिक्रमण हटाने को लेकर पांच दिन पूर्व ही नोटिस दिया गया था। गुरुवार को लोगों को यह समझाने आए थे कि आप खुद से खाली कर दें। कुछ लोगों ने अपना सामान हटाना शुरू भी कर दिया, लेकिन इसी बीच कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ दिया। खासकर महिलाओं ने हंगामा शुरू कर दिया और देखते ही देखते ईंट पत्थर चलाने लगे। रेल अधिकारियों ने बताया कि बच्चे को चोट उन्हीं लोगों से लगी। इधर, इशाकचक थाने के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अतिक्रमण हटाने से पूर्व रेलवे ने पत्र दिया था, लेकिन फोर्स रेलवे को ही लेकर आना था। फोर्स देने की बात पत्र में नहीं थी। उन्होंने बताया कि रेलवे की ओर से कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गई है।
अतिक्रमण हटाने आए दस्ते पर लगाया गाली-गलौज का आरोप
वहां मौजूद महिलाओं ने कहा कि अतिक्रमण हटाने आई टीम हमलोगों के साथ अभद्रता से पेश आई। सामान निकालकर सड़क पर फेंकने लगे। हमलोग खुद ही अपना सामान निकाल रहे थे। आरपीएफ ने गाली-गलौज शुरू कर दिया। तभी हमलोगों ने विरोध किया। कोई हमारे घर में घुसकर भगाएगा तो हमलोग चुप कैसे रहेंगे। महिलाओं ने साफ कहा कि हमलोग यह जमीन खाली नहीं करेंगे। यहां वर्षों से रह रहे हैं।
हाथ में पत्थर लिए एक लड़की ने कहा कि जब अतिक्रमण खाली करवाने आए थे तो महिला पुलिस साथ में क्यों नहीं लाए। बेली देवी ने बताया कि 5 दिन पहले नोटिस आया था। इसके बाद हमलोग जिला प्रशासन के एक अधिकारी से मिले थे। वहां कहा गया था कि पुनर्वास के लिए जगह दी जाएगी। तब तक नहीं हटाया जाएगा। हालांकि उस महिला ने अधिकारी का नाम नहीं बताया।
पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी नहीं थे
अतिक्रमण हटाने पहुंचे रेलकर्मियों के साथ पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी नहीं थे। मात्र चार आरपीएफ के जवान और 15 की संख्या में ट्रैकमैन को लेकर आईओडब्ल्यू इंजीनियर अतिक्रमण हटाने पहुंचे थे। अगर पुलिसकर्मियों की संख्या अधिक होती तो ऐसी स्थिति नहीं बनती।