दिल्ली पुलिस द्वारा तैयार की जाने वाली अपराधियों की कुंडली (डोजियर) में अब उनके वकीलों की जानकारी रहेगी। हाईकोर्ट ने वकीलों का ब्योरा रखने के दिल्ली पुलिस के निर्णय को सही ठहराया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि इससे किसी के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होगा।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की बेंच ने दिल्ली पुलिस के स्टैंडिग आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। हाल ही में पारित फैसले में बेंच ने कहा है कि आपराधिक डोजियर बनाने का उद्देश्य सिर्फ अपराधियों/आरोपियों का विवरण दर्ज करना है। इसमें उस वकील का नाम भी शामिल होता है जो अदालतों में उसके मुकदमे की पैरवी कर सकता है।
बेंच ने कहा कि ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि दिल्ली पुलिस के स्थायी आदेश में किसी तरह की कानूनी खामी है या इससे आरोपी के किसी भी मौलिक अधिकार का हनन होता है। अपराधियों के डोजियर को सार्वजनिक नहीं किया जाता है क्योंकि यह गोपनीय दस्तावेज होता है। इसका इस्तेमाल जांच एजेंसी के सक्षम अधिकारियों तक ही सीमित होता है। यदि जांच अधिकारी अपने महकमे द्वारा जारी सर्कुलर की शर्तों/आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, तो वे आरोपियों के अपने उपयोग के लिए एक डेटाबेस बनाए रखने के हकदार हैं।
बेंच ने कहा है कि डोजियर में वकील के नाम, मोबाइल नंबर और अन्य विवरण को शामिल करने भर से, उन्हें (वकील) अदालत में आरोपी का मुकदमा लड़ने से नहीं रोका जा सकता है क्योंकि यह बात सभी को पता होती है कि किस व्यक्ति का मुकदमा कौन वकील लड़ रहा है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि यह सर्वविदित है कि वादी, जिनमें अपराध करने के आरोपी भी शामिल हैं, अपने मुकदमे की पैरवी के लिए बार-बार एक ही वकील को रखता है। कई बार ऐसी स्थितियां भी होती हैं, जहां आरोपी को हिरासत में नहीं लिया गया है या जमानत पर रिहा किया गया है, तो उसे ढूंढना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे आरोपी का वकील उससे (आरोपी) से संपर्क करने और उसका पता लगाने के काम आ सकता है।
यह मामला है
एक मामले में आरोपी सौरभ अग्रवाल की ओर से वकील दिव्यांशु पांडेय ने आपराधिक डोजियर में वकील का ब्योरा शामिल करने के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। इसमें वकीलों के नाम और विवरण शामिल किए जाने को मौलिक अधिकारों का हनन बताया गया था। तर्क दिया गया था कि यदि पुलिस आरोपी के डोजियर में उसके वकीलों की जानकारी रखेगी तो कोई वकील आपराधिक मामले में किसी का मुकदमा नहीं लड़ेगा। साथ ही पुलिस इस तरह के वकील पर निगरानी भी रखेगी।