यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद भारत सरकार ने मॉस्को की निंदा नहीं की है और दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण तरीके से मसले को सुलझाने की अपील की है। रूस को लेकर भारत के रवैए पर अमेरिका परेशान है और ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट मुताबिक अमेरिकी सरकार अमेरिकी हथियार प्रणालियों की खरीद के वित्तपोषण के लिए भारत के लिए 500 मिलियन डॉलर के रक्षा पैकेज पर विचार कर रही है।
भारत के प्रमुख हथियार रूसी मूल के
मौजूदा वक्त में भारत के प्रमुख हथियार रूसी मूल के हैं और भारतीय हथियारों में करीब 85 फीसद हथियार रूसी हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट बताती है कि 2019–20 में भारत ने रूस के कई हथियार आर्डर किए हैं और इससे आने वाले पांच सालों में रूसी हथियारों के निर्यात में बढ़ोतरी होगी।
पश्चिम पर अपनी निर्भरता बढ़ाएगा भारत?
रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत को रूसी हथियारों पर निर्भरता कम करने में बहुत वक्त लग सकता है। जब तक भारत कुछ मुश्किल फैसला नहीं लेता तब तक भारत को रूसी हथियारों पर निर्भर रहना पड़ सकता है। अधिक पश्चिमी हथियार खरीदने पर भारत रूस पर अपनी निर्भरता कम कर सकता है लेकिन इसका मतलब यह है कि भारत रूस के बदले पश्चिम पर अपनी निर्भरता बढ़ाएगा।
खुद का रक्षा उद्योग स्थापित कर रहा है भारत
रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत को 1971 का वह दौर भी ध्यान है जब उसे इजरायल से गुप्त तरीके से मोर्टार आयात करना पड़ा था जिसे भारत उस वक्त पहचानता तक नहीं था। हालांकि भारत ने हाल के सालों में कई टैंक और जेट बनाए हैं और रक्षा उद्योग स्थापित करने का फैसला किया है लेकिन यह अब तक शुरुआती चरण में ही है।
क्वालिटी हथियार और वो भी देशी
ऐसे में सवाल उठते हैं कि क्या भारत गुणवत्ता की कीमत पर हथियारों का स्वदेशीकरण करेगा या फिर रूस और पश्चिमी देशों से हथियार खरीदते हुए खुद भी हथियार बनाएगा और उसकी बेहतरी पर काम करना जारी रखेगा। ऐसे में भारत को निजी क्षेत्र की ओर भी देखना पड़ सकता है। यह सच है कि भारत आक्रामक चीन को रोकना चाहता है। ऐसे में भारत क्वालिटी हथियारों की ओर देख रहा है। ऐसे में यह देखना होगा कि भविष्य में हथियारों को लेकर भारत की पॉलिसी क्या रहने वाली है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह पॉलिसी देशी क्वालिटी हथियारों की रह सकती है।