दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को अगले आदेश तक राजधानी में पेड़ों को काटने पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली की पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय गिरावट को कम करने का कोई अन्य तरीका नहीं है। न्यायालय ने इस फैसले से सरकार सहित विभिन्न विभागों की कई परियोजनाएं प्रभावित होंगी।
जस्टिस नज्मी वजीरी ने पेड़ों के संरक्षण को लेकर पारित आदेशों के उल्लंन के आरोप में दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आरादेश दिया है। उन्होंने कहा कि ‘पिछले 3 सालों में 29 हजार से अधिक पेड़ काटे गए हैं, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दिल्ली इसका खामियाजा भुगतने के लिए तैयार है। न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि अगले आदेश तक दिल्ली में पेड़ों को काटने पर रोक रहेगी। इसके साथ ही, न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 2 जून को तय किया है।
कोर्ट ने कहा है कि पेश रिपोर्ट के अनुसार सरकार के वन विभाग ने दिल्ली में पिछले 3 सालों में 29,946 पेड़ों को काटने की अनुमति दी। यानी विभाग ने प्रतिदिन 27 और प्रति घंटे 1.13 पेड़ काटने की अनुमति दी। कोर्ट ने कहा है कि जिन पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी या पेड़ों के संबंधित प्रत्यारोपण की स्थिति के संबंध में कोई रिकॉर्ड नहीं है। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि पूरी तरह से विकसित पेड़ों के बड़े पैमाने पर काटने से शहर के पारिस्थितिकी को खराब करता है।
कोर्ट ने कहा है कि इसलिए यह सार्वजनिक हितों के साथ-साथ मौजूदा और भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की खातिर, अगले आदेश तक दिल्ली में पेड़ों को काटने पर रोक रहेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पेड़ों की कटाई तभी की जाए, जब आवेदक द्वारा पूरी तरह से भरोसा दिया गया हो कि पेड़ों को प्रत्यारोपित किया जाएगा। न्यायालय ने कहा है कि निश्चित रूप से राजधानी में पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय गिरावट को कम करने का कोई अन्य तरीका नहीं है।
कोर्ट ने कहा है कि तथ्यों से साफ है कि बड़े पैमाने पर पूरी तरह से विकसित पेड़ों को काटना दिल्ली के पारिस्थितिकी संतुलन को खराब करता है। जस्टिस वजीरी ने कहा कि बड़े पैमाने पर व्याप्त वायु प्रदूषण को तत्काल पर कम करने की जरूरत है और पेड़ इस काम के लिए सबसे महतत्वपूर्ण है। दिल्ली सरकार के मध्य क्षेत्र के उप वन संरक्षक द्वारा दायर की गई स्थिति रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में पिछले तीन साल यानी 2019, 2020 और 2021 में 13,490 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी, जबकि 16,456 पेड़ों को प्रत्यारोपित करने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट ने नीरज शर्मा की ओर से अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद ने पूर्वी दिल्ली में विकास मार्ग पर पेड़ों को संरक्षित करने से संबंधित आदेश की अहेलना को लेकर अवमनना याचिका दाखिल की है। हाईकोर्ट ने पिछले महीने पूरी तरह से विकसित पेड़ों को काटने पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि ऐसे पेड़ों को काटने के बजाय उन्हें प्रत्यारोपित करना तर्कसंगत और विवेकपूर्ण होगा।