24 मई को जापान की राजधानी टोक्यो में क्वाड ग्रुप की बैठक हो रही है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि यूक्रेन युद्ध के बाद भी अमेरिका की एशिया पॉलिसी प्राथमिक बनी हुई है और यही कारण है जो बाइडेन सरकार एक बार फिर क्वाड की ओर देख रहे हैं। क्वाड ग्रुप का कहना है कि वह स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि क्वाड देश चीन पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि अब तक क्वाड ने आधिकारिक तौर पर चीन का उल्लेख नहीं किया है कि लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि क्वाड का डिजायन बीजिंग से निपटने के लिए तैयार किया गया है।
कैसे बना क्वाड ग्रुप?
2004 में हिंद महासागर में भयंकर सुनामी आई। क्षेत्र के कई तटीय देश प्रभावित हुए। इसी विनाशकारी सुनामी के बाद राहत कार्य के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका एक साथ आए। इसी के बाद 2007 में जापान के तत्कालीन पीएम शिंजो अबे ने कथित तौर पर एक चतुर्भुज सुरक्षा संवाद की अपील की। इसी साल क्वाड देशों ने बंगाल की खाड़ी में नौसैनिक अभ्यास किया।
फिर दिक्कत कहां आई?
रिपोर्ट्स के मुताबिक बाद के सालों में चीन को अलग-थलग करने की चिंता कम होने लगी क्योंकि चीन ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाने लगा था। 2008 तक भारत और ऑस्ट्रेलिया चीन के विरोध में नहीं जाना चाहते थे। 2013 से परिस्थिति बदलनी शुरू हो गई। 2017 तक ऑस्ट्रलिया, जापान, अमेरिका और भारत के चीन से संबंध खराब होते चले गए। इसके बाद कोविड और भारत के साथ बॉर्डर विवाद चारों देशों को फिर से एक साथ लाए।
क्वाड को लेकर चीन की राय?
बीजिंग क्वाड को चीन के वैश्विक उदय को रोकने के लिए एक टूल की देखता है। चीन के विदेश मंत्रालय ने क्वाड ग्रुप पर चीन के हितों को कम करने के लिए समर्पित होने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही चीन ने कई मौकों पर क्वाड को छोटा नाटो और एशियाई नाटो का नाम दिया है। हाल ही में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा था कि क्वाड ग्रुप अप्रचलित शीत युद्ध और सैन्य टकराव की आशंकाओं में डूबा हुआ है। यह समय की प्रवृत्ति के विपरीत चलता है और इसका खारिज होना तय है।
अन्य आलोचक क्या कहते हैं?
क्वाड को लेकर आलोचकों का कहना है कि चारों देश बेशक चीन को काउंटर करना चाहते हैं लेकिन इसे लेकर सभी देशों की अपनी प्राथमिकता है। ऐसे में चारों देश हर मसले पर एक साथ आएं, यह मुश्किल है। यूक्रेन युद्ध को ही देखिए, क्वाड के तीन देश ने खुलकर रूस की निंदा की है लेकिन भारत उससे बचता नजर आया है। कई लोगों को यह भी लगता है कि क्वाड ग्रुप में वास्तविक संस्थागत ढांचे का अभाव है। चीन से बाहर के भी कई एक्सपर्ट्स को लगता है कि क्वाड ग्रुप एक दिन एशियाई नाटो में बदल सकता है।
तो क्वाड का एजेंडा क्या है?
2021 के वर्चुअल शिखर सम्मेलन में क्वाड नेताओं ने एक मुक्त, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र की बात की थी। इसके साथ ही इन देशों ने दुनिया की चुनौतियों पर एक साथ काम करने का संकेत दिया था जिसमें जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, गुणवत्ता बुनियादी ढांचा निवेश आदि शामिल है। गुणवत्ता बुनियादी ढांचा निवेश को चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के काउंटर के तौर पर देखा जा रहा है।