अमेरिकी डॉलर ने मंगलवार को पाकिस्तानी रुपये के मुकाबले अपनी बढ़त को बरकरार रखा। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 197 तक पहुंच गई। पाकिस्तान के बढ़ते निर्यात और रिकॉर्ड घटते विदेशी भंडार को इसका सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है। फॉरेक्स एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान (FAP) के अनुसार, ग्रीनबैक पिछले दिन के 196.50 रुपये के करीब से 1.10 रुपये बढ़कर 10:15 बजे के आसपास 197.60 रुपये पर चढ़ गया।
पाकिस्तानी रुपये के मुकाबले डॉलर की लगातार बढ़त का मौजूदा दौर पिछले हफ्ते मंगलवार को शुरू हुआ। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा 188.66 रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। बुधवार को यह बढ़कर 190.90 रुपये हो गया। वहीं, गुरुवार को 192 रुपये से बढ़कर शुक्रवार को 193.10 रुपये पर पहुंच गया, सोमवार को यह 194 रुपये से अधिक चढ़ गया और कल (मंगलवार) को 196 रुपये से अधिक हो गया।
FAP डेटा से पता चलता है कि ग्रीनबैक मंगलवार को 196.50 रुपये पर बंद हुआ। डॉन की एक रिपोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की समापन दर 195.74 रुपये का हवाला दिया। डॉन की एक अन्य रिपोर्ट ने मंगलवार को इस बात पर प्रकाश डाला कि पूरे वित्तीय वर्ष 22-23 के दौरान डॉलर ने पाकिस्तानी रुपये पर अपनी मजबूत पकड़ को जारी रखा। पिछले दो महीने सबसे खराब साबित हुए हैं।
करेंसी डीलर्स के मुताबिक डॉलर की डिमांड कभी कम नहीं होती है, जिससे लोकल करेंसी किसी भी मोड़ पर नहीं टिकती। उनका कहना है कि डॉलर की अधिक मांग मुद्रा बाजार में तेजी का प्रमुख कारण है।
आपको बता दें कि पाकिस्तान में तेल की बढ़ती कीमतों ने पहले ही तेल आयात बिल को दोगुना कर दिया है। आयात भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। अप्रैल में आयात में 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे सरकार के लिए अपने बाहरी संतुलन में सुधार करने के लिए कोई जगह नहीं बची। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार जून 2020 के बाद से सबसे कम 10.3 अरब डॉलर को छू गया है।
एफएपी के अध्यक्ष मलिक बोस्टन के अनुसार डॉलर के मूल्य में लगातार वृद्धि का एक अन्य कारण इसकी अधिक बिक्री है। डॉन डॉट कॉम से बात करते हुए उन्होंने कहा, “वाणिज्यिक बैंक लगातार इंटरबैंक बाजार में डॉलर की अधिक बिक्री कर रहे हैं, यही वजह है कि यह हर दिन 1-2 रुपये की बढ़त देखी जा रही है।”