राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले में जातीय पंचों के मनमाने फैसले से आहत होकर एक पिता ने आत्महत्या की कोशिश की। हालांकि, समय रहते उनके परिवार वालों ने उन्हें बचा लिया। बताया गया कि पीड़ित अपनी बेटी के ससुराल वालों की दहेज की मांग को पूरा नहीं कर पाया था जिसके चलते हैं जाति पंचों ने न सिर्फ उसे समाज से बहिष्कृत किया बल्कि उस पर बीस लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया।
पहले बेटी को घर से निकाला
पीड़ित मन्नी देवी ने बाड़मेर जिले के पचपदरा थाने में मामला दर्ज करवाया कि उनकी शादी कुछ साल पहले दानपुरा गिड़ा निवासी वेहनाराम के साथ हुई थी। पीड़िता ने आरोप लगाया कि शादी के कुछ समय बाद ही उसका पति और उसके ससुराल वाले उसे दहेज के लिए परेशान करने लगे, उसके साथ मारपीट करने लगे। उसने बताया कि कुछ समय पहले उसके ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया।
फिर पिता को किया समाज से बहिष्कृत:
पीड़िता ने आरोप लगाया कि पहले उसके ससुराल वालों ने उसे घर से बाहर निकाल दिया और उसके बाद बीती 29 अप्रैल को जातीय पंचायत बुलाकर उसके पिता के परिवार को समाज से बहिष्कृत कर उनका हुक्का- पानी बंद कर दिया गया।
20 लाख का जुर्माना:
पीड़िता ने पुलिस को बताया कि जातीय पंचों ने उसके पिता के परिवार को समाज से बहिष्कृत करने के साथ ही उस पर 20 लाख का जुर्माना लगा दिया। समाज के पंचों ने फरमान सुनाया की 20 लाख का जुर्माना भरने के बाद ही उनकी समाज मे वापसी होगी और तभी गांव और समाज के लोग उनसे वास्ता रख सकेंगे। तब तक कोई भी ना तो उन्हें किसी कार्यक्रम में बुलाएगा और ना ही उनसे कोई संबंध रखेगा औऱ अगर कोई ऐसा करता है तो उसे भी समाज से बाहर निकाल दिया जाएगा।
आहत पिता ने की आत्महत्या की कोशिश:
पीड़ित ने पुलिस को बताया कि सामाजिक बहिष्कार से आहत होकर 9 मई को उसके पिता ने आत्महत्या की कोशिश की। उसने बताया कि उसकी मां और उसके द्वारा बीच-बचाव करने से उसके पिता की जान बच गई जिसके बाद उसने आरोपियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ना तय किया और अब मामला दर्ज करवाया है।
मामला दर्ज, जांच शुरू:
पचपदरा थाना अधिकारी प्रदीप डांगा ने बताया कि पीड़िता की शिकायत पर उसके ससुराल वालों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना और जातीय पंचों के खिलाफ उसके परिवार को प्रताड़ित करने का मामला दर्ज कर लिया गया है और मामले की जांच की जा रही है जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।