संपत्ति कब्जाने के लिए मृतकों के नाम से वाद दायर करने वाले आरोपी को फर्जीवाड़ा कर पुलिस कस्टडी से छुड़ाने का मामला सामने आया है। गाजियाबाद पुलिस के मुताबिक, फर्जीवाड़े के आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया तो आरोपी के बेटों, मिर्जापुर के पार्षद और वकील ने किसी और के स्टे ऑर्डर को अपना बताकर तथा झूठा शपथ-पत्र देकर आरोपी को न्यायिक कार्रवाई से बचा लिया। आरोपियों द्वारा हाईकोर्ट में डाली गई पिटीशन की कॉपी चार दिन तक उपलब्ध न कराने पर जब पुलिस ने कोर्ट की वेबसाइट खंगाली तो पोल खुल गई, जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया है।
विजयनगर थाने के वरिष्ठ उपनिरीक्षक मधुर श्याम यादव का कहना है कि जमीन कब्जाने के लिए मृतकों को जिंदा दिखाकर कोर्ट में वाद दायर करने के मामले में राजस्व निरीक्षक विपिन कुमार ने मिर्जापुर निवासी फिदा हुसैन, यामीन, शौकीन अली, रियाजुद्दीन और यामीन के खिलाफ विजयनगर थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया था। इस मामले की विवेचना उनके द्वारा की जा रही है। साक्ष्यों के आधार पर अभियुक्त रियाज अहमद उर्फ रियाजुद्दी को गिरफ्तार कर 6 मई को एसीजेएम कोर्ट में रिमांड के लिए पेश किया गया था।
मधुर श्याम यादव का कहना है कि उसी दिन दोपहर करीब तीन बजे रियाजुद्दीन के बेटे दानिश व फजर चौधरी, मिर्जापुर के पार्षद आसिफ चौधरी तथा वकील महेश कुमार वर्मा कोर्ट में आए और हाईकोर्ट में डाली पिटीशन के बाद यामीन व अन्य के हक में पारित आदेश संलग्न करते हुए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया। प्रार्थना पत्र में उन्होंने विवेचना और थाना प्रभारी पर कोर्ट के स्टे ऑर्डर का पालन न करने का आरोप लगाया। साथ ही कथन अंकित कराया कि हाईकोर्ट ने विवेचना के निस्तारण तक रिजायुद्दीन की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
आदेश के आधार पर आरोपी को परिजनों के सुपुर्द कर दिया था
वरिष्ठ उपनिरीक्षक का कहना है कि हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर का पालन करते हुए रियाजुद्दीन को दोपहर साढ़े 3 बजे परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया और उसके पक्ष से हाईकोर्ट में दायर की गई पिटीशन की कॉपी उपलब्ध कराने की हिदायत दी गई। आरोप है कि सात व आठ मई को उन्होंने रियाजुद्दीन के बेटे दानिश को फोन करके पिटीशन की कॉपी मांगी। दो दिन बाद भी कॉपी न मिलने पर उन्होंने वकील महेश चंद्र वर्मा से संपर्क कर उनसे कॉपी मांगी, लेकिन वह भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।
वेबसाइट पर देखा को खुली फर्जीवाड़े की पोल
वरिष्ठ उपनिरीक्षक का कहना है कि आदेश की कॉपी न मिलने पर कोर्ट की वेबसाइट से रिट की याचिका का आवलोकन किया गया तो फर्जीवाड़ा सामने आ गया। यह याचिका यामीन, शौकीन अली द्वारा डाली गई थी। इसमें रिजायुद्दीन का कोई जिक्र नहीं था। हाईकोर्ट ने शौकीन और यामीन की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। पुलिस अधिकारी का आरोप है कि रियाजुद्दीन, उसके बेटे दानिश व फजर चौधरी, पार्षद आसिफ चौधरी और वकील महेश चंद वर्मा ने झूठा शपथ-पत्र देकर तथा शौकीन व यामीन के स्टे ऑर्डर को रियाजुद्दीन का बताकर कोर्ट को गुमराह किया गया और रियाजुद्दीन को न्यायिक कार्रवाई से बचाया।
विजयनगर थाना एसएचओ योगेंद्र मलिक का कहना है कि धोखाधड़ी का केस दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।