महिंदा राजपक्षे ने श्रीलंका के पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि उन्होंने गोताबाया राजपक्षे के दबाव में आकर इस्तीफा दिया है। हालंकि अब तक यह साफ नहीं है कि उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया है या नहीं। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि महिंदा के इस्तीफा दिए जाने के बाद गोताबाया की दिक्कतें कम नहीं होने वाली और उनके लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।
राजनीतिक गतिरोध का अब तक कोई समाधान नहीं
कोलंबो सहित श्रीलंका के कई शहरों में प्रदर्शनकारी अब भी गोताबाया राजपक्षे के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं और राजनीतिक गतिरोध का अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है। विरोध कर रहे लोग महिंदा के इस्तीफा दिए जाने भर से संतुष्ट नहीं हैं और वे गोताबाया राजपक्षे से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। पिछले 24 घंटे में विरोध का रूप हिंसक हुआ है और सैकड़ों लोग घायल हो गए हैं। बता दें कि श्रीलंका में पिछले एक महीने से विरोध-प्रदर्शन जारी है।
संयुक्त सरकार बनाने की कोशिश नाकामयाब
विरोध कर रहे लोग गोताबाया से सत्ता छोड़ने की मांग कर रहे हैं। इस बीच गोताबाया राजपक्षे ने 7 मई से एक बार फिर श्रीलंका में इमरजेंसी लगा दिया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि वह जल्द ही इमरजेंसी हटा सकते हैं। गोताबाया हर वो रास्ता खोज रहे हैं ताकि उन्हें इस्तीफा न देना पड़े लेकिन उनके द्वारा सभी राजनीतिक दलों के साथ एक संयुक्त सरकार बनाने की कोशिश नाकामयाब रही है।
अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे गोताबाया राजपक्षे?
मुख्य विपक्षी दल ने सरकार के खिलाफ दो अविश्वास प्रस्ताव पेश किए हैं। चूंकि श्रीलंका में राष्ट्रपति सीधे चुने जाते हैं तो ऐसे में सरकार का संसदीय निष्कासन उनकी स्थिति को सख्ती से प्रभावित नहीं करेगा लेकिन उनके अधिकार को जरूर कमजोर कर देगा। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अंतरिम सरकार न बनने की स्थिति में गोताबाया राजपक्षे की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं क्योंकि प्रदर्शनकारी पीछे हटने के मूड में नहीं दिख रहे हैं।
फिर से पीएम बनेंगे महिंदा राजपक्षे?
राष्ट्रपति खुद पद छोड़ने के इच्छुक नहीं हैं और कोई भी इस बात से इंकार नहीं कर रहा है कि महिंदा को अपना इस्तीफा वापस लेने और पीएम के रूप में वापस आने की इजाजत दी जा सकती है। इस सबके बीच श्रीलंका की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। आईएमएफ के साथ देश की बातचीत जारी है। भारत ने श्रीलंका को कई अरब डॉलर से मदद की है। श्रीलंकाई सरकार चीन से भी मदद मांग कर रही है हालांकि यह साफ नहीं है कि बीजिंग श्रीलंका की मदद करेगा या नहीं।