हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव (GSI) की बात कही है। इसके तहत एक एशियाई सुरक्षा ढांचा बनाने का मकसद है। चीन ऐसे वक्त में यह कदम उठा रहा है जब बीजिंग को लग रहा है कि पश्चिमी देशों का सैन्य गठबंधन नाटो एशिया-प्रशांत क्षेत्र का विस्तार करने की कोशिश में जुटा हुआ है। इसके साथ ही चीन को अपने महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को दुनिया भर में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
क्वाड और ऑकस से परेशान हुआ चीन?
भारत और चीन के बीच पिछले दो सालों से संबंध सहज नहीं रहे हैं। 2020 में चीन की ओर से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिशों के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन दक्षिण एशिया में अपने असर को बढ़ाने के लिए GSI जैसे कदम उठा रहा है क्यों क्वाड (भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का ग्रुप) और ऑकस (ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका का ग्रुप) के जरिए ये देश दक्षिण-पूर्वी एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
अमेरिका को चुनौती दे रहा है चीन
दी प्रिंट से बात करते हुए इंटरनेशनल रिलेशंस एंड गवर्नेंस स्टडीज विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर जाबिन टीशिव नादर यूनिवर्सिटी में जाबिन जैकब का कहना है कि GSI के जरिए चीन विश्व शांति को नहीं कायम करना चाहता है। चीन को ऐसा लगता है कि अमेरिका विश्व शांति के लिए खतरा है और ऐसे में चीन अमेरिका द्वारा बनाए गए समस्याओं को ठीक करने की कोशिश कर रहा है।
भारत के लिए GSI का क्या मतलब है?
प्रिंट ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि चीन जब GSI के तहत अविभाज्य सुरक्षा को महत्वपूर्ण सिद्धांत के रूप में और एक सुरक्षा समुदाय के निर्माण की बात करता है, तो भारत उस पर करीब से नजर रख रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन अब नाटो के पूर्व की ओर विस्तार को लेकर चिंतित है क्योंकि जापान ने एशिया-प्रशांत भागीदारों के साथ संबंधों को मजबूत करने के नाटो के प्रयास पर अनुकूल संकेत दिया है। पश्चिमी देशों के दक्षिण-पूर्व में बढ़ते असर को देखते हुए चीन एशिया में एक सुरक्षा ब्लॉक बनाने को लेकर देख रहा है।