यूक्रेन पर रूस का आक्रमण करीब ढाई महीने से अधिक से जारी है। अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के कारण मॉस्को पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। इस बीच हंगरी के पीएम विक्टर ओर्बन ने कहा है कि मौजूदा हालात में हंगरी रूस के खिलाफ यूरोपियन यूनियन के नए प्रतिबंध पैकेज का समर्थन नहीं कर सकता है। इसमें रूसी कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध भी शामिल है।
हंगरी की इकॉनमी के लिए एटॉमिक बम जैसा होगा रूस पर प्रतिबंध
ओर्बन ने कहा है कि यूरोपीय आयोग का मौजूदा प्रस्ताव हंगरी की अर्थव्यवस्था पर गिराए गए ‘परमाणु बम’ के बराबर होगा। उन्होंने आगे कहा है कि हंगरी बातचीत के लिए तैयार हो सकता है अगर एक नया प्रस्ताव आए जिसमें हंगरी के हितों का ध्यान रखा जाए। बता दें कि यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने यूक्रेन में युद्ध के लिए मास्को के खिलाफ प्रतिबंधों के सबसे कठिन पैकेज का प्रस्ताव रखा है लेकिन रूस के तेल आयात में कटौती के प्रभाव से चिंतित कई देश समझौते की बात पर जोर दे रहे हैं।
तेल के लिए रूस पर 65 फीसद तक निर्भर है हंगरी
हंगरी जैसे देश इस बात से चिंतित हैं कि रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने से उनके देश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। ओर्बन ने कहा है कि हमें रूस पर निर्भरता खत्म करने के लिए कम से कम पांच साल की जरूरत होगी ताकि हम अपनी मौजूदा प्रणाली में बदलाव कर सकें। हम पता है कि हमें क्या चाहिए। सबसे पहले हमें इस पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 5 साल की जरूरत है। 1-1।5 साल किसी भी चीज के लिए पर्याप्त नहीं है।बता दें कि मौजूदा वक्त में हंगरी रूस तेल पर 65 फीसद तक निर्भर है।
ओर्बन ने आगे कहा है कि हम यूरोपीय यूनियन के विरोध में नहीं आना चाहते। हम सहयोग करना चाहते हैं लेकिन यह तभी संभव है जब वह हमारे हितों का ध्यान रखें। हम एक नए प्रस्ताव की प्रतीक्षा कर रहे हैं।