सुप्रीम कोर्ट ने सरोजिनी नगर में करीब 200 झुग्गियों को तोड़े जाने के प्रस्ताव पर लगी रोक जुलाई के तीसरे सप्ताह तक बढ़ा दी है और केंद्र सरकार से वहां झुग्गियों में रहने वालों का सत्यापन करने के लिए एक सर्वे करने को कहा है।
जस्टिस के.एम. जोसेफ और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने सोमवार को केंद्र के वकील की दलीलों को सुना और कहा कि सरकार द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले प्रस्तावित क्षेत्र का उचित सर्वे करने के बाद निवासियों का भौतिक सत्यापन करने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए। इससे पूर्व बेंच ने 25 अप्रैल को झुग्गियों के गिराए जाने के प्रस्ताव पर दो मई तक रोक लगा दी थी।
बेंच ने झुग्गी निवासी लड़की वैशाली समेत दो नाबालिग निवासियों की ओर से पेश वकीलों विकास सिंह और अमन पंवार की उन दलीलों पर गौर किया था कि उनकी 10वीं की बोर्ड परीक्षा 26 अप्रैल से शुरू हो रही हैं। वैशाली ने कोर्ट से कहा था कि हजारों लोग बिना किसी अन्य पुनर्वास योजना के बेदखल हो जाएंगे।
बेंच ने केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज से कहा था कि सुनवाई की अगली तिथि तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया जाना चाहिए।
इससे पहले, चीफ जस्टिस एन.वी. रमणा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इन दलीलों पर ध्यान दिया था कि ‘झुग्गियों’ के विध्वंस के आसन्न खतरे को देखते हुए याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने चार अप्रैल को झुग्गियों के सभी निवासियों को एक सप्ताह के भीतर जगह खाली करने के लिए नोटिस जारी किया था।
याचिका में कहा गया है कि झुग्गीवासी 1980 से वहां रह रहे हैं और वे साइट पर किसी भी सरकारी परियोजना को रोकना नहीं चाहते हैं।
हालांकि, झुग्गीवासी प्रस्तावित तोड़फोड़ को कुछ समय के लिए स्थगित करने के अलावा दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, अपनी ‘झुग्गियों’ का पुनर्वास चाहते थे।
दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की थी कि विचाराधीन ‘झुग्गियों’ को डीयूएसआईबी अधिनियम के तहत नोटिफाई नहीं किया गया था और इसलिए निवासी पुनर्वास के लिए पात्र नहीं थे। हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश और खंडपीठ ने डीयूएसआईबी की दलीलों पर भरोसा किया और निवासियों की याचिका खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त प्रतिक्रिया का हवाला दिया गया और कहा गया कि दिल्ली सरकार और उसके अधिकारियों ने दिल्ली में किसी भी झुग्गी को डीयूएसआईबी अधिनियम के तहत अधिसूचित नहीं किया है और केवल 675 झुग्गियों की सूची तैयार की है।