दिल्ली में मौजूद तीनों कूड़े के पहाड़ न सिर्फ लोगों की सेहत बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे राजधानी पर आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक भलस्वा, गाजीपुर और ओखला लैंडफिल साइट से अब तक दिल्ली के पर्यावरण को लगभग 450 करोड़ रुपये की क्षति पहुंच चुकी है। वहीं कचरे के पहाड़ों को हटाने के लिए किए जाने वाले प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।
लैंडफिल साइट पर जमा कचरा दिल्ली के लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। लगभग महीने भर के भीतर ही पहले गाजीपुर और अब भलस्वा लैंडफिल साइट पर कचरे के ढेर में आग लगी है। इससे निकलने वाले जहरीले धुएं का असर दिल्ली के प्रदूषण पर भी देखने को मिल सकता है।
पिछले साल जनवरी में राष्ट्रीय हरित अधिकरण में प्रस्तुत रिपोर्ट के मुताबिक, तीनों लैंडफिल साइट से अब तक दिल्ली के पर्यावरण को 450 करोड़ का नुकसान हो चुका है। यह रिपोर्ट सीपीसीबी, नीरी और आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई थी। दिल्ली की इन तीनों लैंडफिल साइटों की मियाद काफी पहले पूरी हो चुकी है। लेकिन विकल्पों के अभाव में अब भी दिल्ली के कचरे का बड़ा हिस्सा इन साइट पर डाला जा रहा है।
कहां कितना नुकसान
भलस्वा 155.9 करोड़ रुपये
ओखला 151.1 करोड़ रुपये
गाजीपुर 142.5 करोड़ रुपये
कितना जमा कचरा
भलस्वा 80 लाख टन
ओखला 60 लाख टन
गाजीपुर 140 लाख टन
कब तक खत्म करना है
भलस्वा दिसंबर, 2023
ओखला दिसंबर, 2023
गाजीपुर दिसंबर, 2024
मीथेन गैस वैश्विक तापमान बढ़ा रही
विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रायचौधुरी बताती हैं कि लैंडफिल साइट हर तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। जमा कचरे के सड़ने से मीथेन गैस निकलती है, जो वैश्विक तापमान में इजाफा करती है। मीथेन गैस के ज्वलनशील होने के चलते आग का खतरा भी बना रहता है। कचरे की आग से निकलने वाला धुआं बेहद जहरीला होता है। इसके साथ ही कचरे से रिसने वाली लीचेट भूमिगत जल को जहरीला बनाता है।
भूमिगत जल को जहरीला कर रहे
दिल्ली के तीनों लैंडफिल साइट पर जमा कचरे के सड़ने से बेहद खतरनाक लीचेट निकलता है। यह जमीन के अंदर धीरे-धीरे अवशोषित हो जाता है। इसके चलते भूमिगत जल भी जहरीला हो जाता है। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजीपुर लैंडफिल साइट से तीन से पांच किलोमीटर दूर तक इसके हानिकारक तत्व पाए जा रहे हैं। इसका लोगों और पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
निगम के खिलाफ थाने में शिकायत दी
कूड़े के पहाड़ में में आग को लेकर स्थानीय लोगों ने शुक्रवार को थाने में शिकायत दी है। उत्तर दिल्ली नगर निगम एवं इसके प्रमुख पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की गई है।
गैस बर्नर की तरह निकल रहीं हैं लपटें
भलस्वा लैंडफिल साइट पर लगी आग 96 घंटे बाद भी बुझाई नहीं जा सकी है। कुछ हिस्सों से शुक्रवार को गैस बर्नर की तरह आग की लपटें निकल रही थीं।
दमकल विभाग के अधिकारी ने बताया कि छह-छह घंटे की शिफ्ट में आग बुझाने का काम जारी है। हर शिफ्ट में पांच से छह गाड़ियों को काम में लगाया जा रहा है। मिथेन गैस की वजह से आग की लपटें निकल रही हैं।
साइट के आसपास जहरीला धुआं फैल गया है। धुएं की मोटी चादर की वजह से लोगों को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। पंखा और कूलर चलाने पर धुआं घर के अंदर आ रहा है। इसलिए लोग भीषण गर्मी में भी पंखा-कूलर का उपयोग नहीं कर रहे हैं। आग की लपटों और धुएं के बीच लैंडफिल साइट पर कूड़ा बीनने वाले शुक्रवार को भी मौजूद थे