गाजियाबाद जनपद में 40 फीसदी से ज्यादा स्कूल बसों में मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। खास बात यह है कि इनका फिटनेस प्रमाण पत्र की मियाद समाप्त होने के बावजूद स्कूल संचालक इन पर गौर नहीं कर रहे हैं। जबकि संबंधित विभाग इनको नोटिस तक जारी कर चुका है।
मोदीनगर में बस हादसे में हुई बच्चे की मौत की एक बड़ी वजह यह भी है। जिस बस में यह घटना हुई उसका फिटनेस प्रमाण भी समाप्त हो चुका था। जनपद में स्कूल की कुल 1899 बस पंजीकृत हैं, जिनमें से 755 बसों की फिटनेस खत्म हो चुकी है। उच्च न्यायालय द्वारा स्कूल बसों के लिए बनाए गए मानकों को पालन न करते हुए गाजियाबाद की सड़कों पर स्कूल की बस दौड़ रही है।
वहीं, स्कूलों में विद्यार्थियों को घर से लाने और छोड़ने के लिए ई-रिक्शा, वैन का प्रयोग किया जा रहा है। यहीं नहीं ई-रिक्शा और वैन में क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को बैठाया जा रहा है। जो कभी भी किसी समय बड़े हादसे को न्योता दे सकती है।
गाजियाबाद अभिभावक संघ ने जताई चिंता
गाजियाबाद अभिभावक संघ (जीपीए) के मीडिया प्रभारी विवेक त्यागी का कहना है कि स्कूल बसों के संचालन में मानकों का ख्याल नहीं रखा जाता है। कैब और बसों में क्षमता और मानकों से ज्यादा बच्चों को बैठाया जाता है।
स्कूलों की ओर से फीस और ट्रांसपोर्टेशन शुल्क तो पूरा लिया जाता है लेकिन जब बात गाइडलाइंस की हो तो पूरी तरह विफल दिखाई देते हैं। वहीं, जीपीए अध्यक्ष सीमा त्यागी का कहना है कि ये घटना सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि प्रशासन की लापरवाही का भी परिणाम है। आरटीओ अधिकारी और डीआईओएस स्कूलों पर मानकों का पालन करने को लेकर सख्ती नही बरतते हैं।
उन्होंने कहा कि स्कूल बसों और कैब के संचालन की जांच करवाई जानी चाहिए। जो स्कूल मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनका लाइसेंस रद्द करना चाहिए ताकि भविष्य में मोदीनगर जैसा हादसा न हो।
ये मानक पूरे होने चाहिए
स्कूल बस में स्पीड गवर्नर होना जरूरी है, ताकि चालक बस को अधिक स्पीड में न दौड़ा सके
आपातकालीन द्वार ऐसा होना चाहिए, जो आपदा के समय आसानी से खुल सके
खिड़की में शीशे के आगे ग्रिल या जाली लगी हो, ताकि बच्चे का हाथ बाहर न निकल सके
15 साल से अधिक पुरानी बस का बच्चों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए
बस में चढ़ने के लिए लगाए गए पायदान की सड़क से ऊंचाई अधिक न हो
बस में अग्निशमन उपकरण और बच्चों के बैग टांगने के लिए हैंगर अवश्य लगे होने चाहिए
बसों के तीन तरफ स्कूल का नाम और नंबर लिखने अनिवार्य हैं
बस में शिक्षिका जरूर हो
क्षमता से अधिक सवारी
एक अभिभावक ने कहा, ‘स्कूल ट्रांसपोर्ट के नाम पर बड़ा शुल्क वसूलते हैं। बावजूद इसके मानकों का पालन नहीं किया जाता है। इसके लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को स्कूलवार बसों की जांच करनी चाहिए।’
दूर लगी ग्रिल
डायमंड फ्लाईओवर की ओर जा रही स्कूल की बस में खिड़की पर कोई ग्रिल नहीं थी। जबकि खिड़की के शीशे भी खुले हुए थे, जिससे कोई भी बच्चा बस का नियंत्रण बिगड़ने पर आसानी से गिर सकता है। इसी तरह शहर में विभिन्न स्थानों पर स्कूल की बस मानकों का उल्लंघन करती पाई गईं।
बस में केयर टेकर नहीं
शहर में सुरक्षा मानकों को ताक पर रख स्कूल की बसें दौड़ रही हैं। राजनगर से बच्चों को लेकर जा रही एक निजी स्कूल की बस में खिड़की पर सुरक्षा के लिए लगाई गई ग्रिल का स्पेस इतना था कि बच्चे बस से बाहर हाथ और गर्दन निकाल रहे थे। इस दौरान बच्चों को संभालने वाला कोई नहीं था। जबकि स्कूल में सभी बच्चे छोटे थे।
एआरटीओ विश्वजीत सिंह ने कहा, ‘जिल बस में हादसा हुआ है उसका फिटनेस समाप्त था। इसके लिए स्कूल को बस की फिटनेस कराने के लिए अक्तूबर 2021 एवं फरवरी 2022 में नोटिस जारी हुआ था। दिसंबर महीने में इस बस को वाहन-4 पोर्टल पर ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था। जिन स्कूल बस का फिटनेस समाप्त हो चुका है उन्हें ब्लैक लिस्ट करते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी।’
बस के अंदर चालक के साथ परिचालक, मेड और एक शिक्षिका का होना बेहद जरूरी है। जिससे बस के अंदर विद्यार्थियों को देखभाल हो सके। किसी प्रकार की समस्या आने पर विद्यार्थियों को मेड और शिक्षिका देख सके। वहीं, विद्यार्थियों को उनके अभिभावक और सड़क पार करने के लिए परिचालक की जिम्मेदारी हो।
वसुंधरा में ई-रिक्शा में बुधवार को स्कूल के बच्चों एक दूसरे के ऊपर बैठाकर ले जाया जा रहा था। इसी तरह ऑटो का प्रयोग किया जा रहा है। यही नहीं ई-रिक्शा और ऑटो में बच्चों को लटका कर स्कूल ले जाया जाता है, जिससे कभी भी हादसा हो सकता है।