हरियाणा के वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की, जिससे पार्टी की राज्य इकाई में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को और हवा मिल गई है। सूत्रों का कहना है कि हरियाणा इकाई के नए अध्यक्ष के लिए प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल ने कांग्रेस अध्यक्ष को चार नेताओं- भूपिंदर सिंह हुड्डा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुलदीप बिश्नोई और किरण चौधरी के नाम भेजे हैं।
बिश्नोई को अहम जिम्मेदारी दे सकती है कांग्रेस
हालांकि, अंतिम निर्णय से पहले कांग्रेस आलाकमान लगातार पार्टी नेताओं से चर्चा कर रहा है। इसे देखते हुए सोनिया गांधी ने आदमपुर के विधायक और पूर्व सांसद बिश्नोई से राज्य के हालात पर चर्चा की। सूत्रों के मुताबिक राज्य इकाई में बिश्नोई को अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। बिश्नोई को राज्य में पार्टी का नेतृत्व करने के दावेदार के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन सूत्रों का मानना है कि उन्हें हुड्डा की जगह नेता प्रतिपक्ष का पद दिए जाने की अधिक संभावना है।
भूपेंद्र हुड्डा को अगले हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष की मिलेगी जिम्मेदारी?
कुमारी शैलजा के स्थान पर भूपेंद्र हुड्डा को अगले हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में देखा जा रहा है। कुमारी शैलजा ने हाल ही में सोनिया गांधी के साथ बैठक में अपने पद से हटने पर सहमति व्यक्त की थी। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एचपीसीसी) में परिवर्तन की मांग के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कल नई दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की थी। दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हुड्डा 1996 से 2001 तक पहले भी प्रदेश पार्टी अध्यक्ष भी रहे हैं। वहीं, शैलजा को संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा में जगह दी जा सकती है।
हुड्डा जूनियर भी लाइन में?
पंजाब कांग्रेस में संगठनात्मक परिवर्तन करने के बाद, पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अब अपनी हरियाणा इकाई को फिर से संगठित करने पर विचार कर रहा है, जिसमें व्यापक संगठनात्मक परिवर्तन होने की संभावना है।
समझा जाता है कि कांग्रेस नेतृत्व ने राज्य इकाई की बागडोर हुड्डा खेमे को सौंपने का मन बना लिया है, जबकि कुलदीप बिश्नोई को सीएलपी नेता पद के लिए सबसे आगे देखा जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि हरियाणा कांग्रेस प्रमुख पद के लिए हुड्डा के अलावा उनके बेटे राज्यसभा सांसद दीपेंद्र का नाम भी चर्चा में है। दो बार के पूर्व सीएम, हुड्डा को कांग्रेस के 31 विधायकों में से अधिकांश का समर्थन प्राप्त है और उनकी उम्मीदवारी को अधिकांश वरिष्ठ नेताओं के लिए “स्वीकार्य” के रूप में देखा जा रहा है।
हालांकि, कुछ शीर्ष नेता हुड्डा सीनियर के बेटे के अधीन काम करने में आनाकानी कर सकते हैं और हुड्डा जूनियर की नियुक्ति पहले से ही विभाजित राज्य इकाई में एक और घमासान शुरू कर सकती है। सूत्रों ने कहा कि इन नेताओं ने पहले ही आलाकमान को अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया था और अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो वे “अन्य विकल्प तलाश” भी सकते हैं।
सूत्रों ने संकेत दिया कि कांग्रेस आलाकमान ने हरियाणा इकाई के नेताओं को सभी चुनौतियों का एकजुट होकर सामना करने की सलाह दी है। 2019 के राज्य विधानसभा चुनावों में, भाजपा 90 सदस्यीय सदन में 40 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जबकि कांग्रेस को केवल 31 सीटें मिलीं, और दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी (JJP) को 10 सीटें मिलीं। इसके कारण, भाजपा और कांग्रेस दोनों ने निर्दलीय और जेजेपी को चुनाव के बाद गठबंधन के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन भाजपा सफल रही।