दिल्ली के छावला इलाके में गोकशी करते लोगों की पिटाई के मामले में पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया है कि जिस फार्म हाउस से गाय के अवशेष बरामद किए गए हैं, वहां करीब साढ़े चार साल से गोकशी चल रही थी। यह फार्म हाउस छावला थाने से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी।
जब फार्म हाउस में गोकशी की सूचना दी गई, तो पुलिस से पहले वहां लोग पहुंच गए। उन लोगों ने वहां गोकशी कर रहे लोगों को घेर लिया और उनकी जमकर पिटाई कर दी। पिटाई से घायल हुए लोगों में अरशद, शानु, रंजीत, राजाराम, संतोष शामिल थे। राजाराम की बाद में मौत हो गई और अरशद का सफदरजंग अस्पताल में उपचार किया जा रहा है।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि रविवार देर रात 2.15 बजे एक फार्म हाउस में गोकशी की सूचना के बाद छावला पुलिस मौके पर पहुंची। जहां 15-20 लोगों की भीड़ कुछ लोगों की पिटाई कर रही थी। पुलिस ने लोगों को भीड़ से बचाकर पास के अस्पताल पहुंचाया, जहां से अरशद को सफदरजंग अस्पताल में रेफर कर दिया। वहीं प्राथमिक उपचार के बाद राजाराम को पूछताछ के लिए पुलिस थाने लेकर आई, जहां उसकी तबीयत खराब हो गई। उसे वापस अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
आसपास के गांवों से गाय लाते थे
पकड़े गए लोगों ने पुलिस को जो शिकायत दी है, उसमें स्वीकार किया है कि वे गोकशी में शामिल थे। उन्होंने बताया कि फार्महाउस में आसपास के गांवों से गायों को लाकर रखा जाता था। राजाराम और प्रवीण गाय लेकर फार्म हाउस आते थे, इसके लिए प्रति गाय 500 रुपये लेते थे।