राजस्थान के भरतपुर जिले के हलैना थाना इलाके के निजी कॉलेज की एक छात्रा को उसी कॉलेज के कुछ मनचलों ने जबरन जहरीला पदार्थ पिलाकर मौत के घाट उतार दिया। मृतक छात्रा ने उन लड़कों के साथ अवैध संबंध बनाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद मनचलों ने उसकी हत्या कर दी।
जानकारी के मुताबिक, छात्रा ने मरने से पहले अपनी मां को फ़ोन पर अपने साथ घटित पूरी घटना के बारे में बता दिया था। मृतक छात्रा बीए फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रही थी। उसकी क्लास में पढ़ने वाले कुछ मनचले उसे काफी समय से अवैध संबंध बनाने के लिए परेशान कर रहे थे। छात्रा के पैरों पर सफ़ेद निशान थे, जिसे लेकर वह उस पर अश्लील टिप्पणी करते थे। मृतक छात्रा अपने ननिहाल में रहती थी।
पहले भी कुछ पिलाने की कोशिश कर चुके हैं आरोपी
पीड़िता के परिजनों के मुताबिक, एडमिशन के बाद से ही उसकी क्लास में पढ़ने वाले कुछ छात्रों ने छात्रा का पीछा करना शुरू कर दिया। वे उसे रास्ते में परेशान करते और उसके साथ अवैध संबंध बनाने का दबाव बनाते। एक बार पहले भी छात्रों ने छात्रा को रास्ते में कुछ पिलाने की कोशिश, लेकिन उस समय वह वहां से भाग गई।
शिकायत के बाद भी नहीं हुई कोई कार्रवाई
छात्रा ने अपने परिजनों से भी इन छात्रों के बारे बताया था। छात्रा के परिजनों ने कॉलेज में जाकर छात्रों की शिकायत की तो टीचर ने छात्रों को डांटने की बजाए प्रार्थना के समय सभी बच्चों के सामने कहा कि यह लड़की दो-चार लड़कों को मरवा कर छोड़ेगी। जिसके बाद वह और भी ज्यादा डिप्रेशन में आ गई थी। शिकायत के बाद भी टीचर ने छात्रों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की।
मृतका के भाई ने यह बताया
छात्रा के भाई ने बताया कि उसकी बहन का 5 अप्रैल को फोन आया था, जिसमें उसने बताया कि जब वह कॉलेज से लौट रही थी तो विक्रम, नरेश, संदीप और दो अन्य लड़कों ने उसे रास्ते में रोका और जबरन कुछ पीला दिया। इसके बाद जब वह अपने मामा के घर पहुंची तो उसकी तबियत ख़राब होने लगी। कुछ देर बाद उसे उल्टियां होने लगी। तभी उसके मामा उसे लेकर आरबीएम अस्पताल पहुंचे जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतका के भाई ने बताया कि कुछ लड़कियां भी आरोपी छात्रों का सहयोग करती थी।
शिकायत दर्ज होने के बाद जांच में जुटी पुलिस
घटना के बाद छात्रा के परिजनों ने हलैना थाने में मामला दर्ज करवाया। जिसके बाद शुक्रवार को पुलिस के अधिकारी जांच के लिए कॉलेज पहुंचे। हालांकि कॉलेज प्रशासन का कहना है कि मामला कॉलेज से बाहर का है, इसलिए इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है। लेकिन सवाल उठता है कि यदि कॉलेज प्रशासन ने समय रहते कदम उठाया होता तो एक छात्रा की जान नहीं जाती।