उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में पुलिस ने दस साल से फरार उस दस नंबरी बाप को गिरफ्तार कर लिया जिसने अपने दो बेटों को अपराध से बचाने के लिए अदालत की आंखों में धूल झोंकने की भरसक कोशिश की। वह हालांकि, अपनी चाल में सफल नहीं हो पाया और यहीं से दस हजार का इनामी अपराधी बन गया। यह कहानी है मूल रूप उप्र के कासगंज, ढोलना के चकेरी गाँव के रहने वाले अनिल कुमार उर्फ खुशालपाल सिंह की।
उधमसिंह नगर के रुद्रपुर में रहते हुए आरोपी के तीन बेटों लोकेन्द्र, कपिल व जितेन्द्र ने ट्रांजिट कैम्प थाना के होली चौक के पास अपने एक साथी दीपक बिष्ट के साथ मिलकर दो लोगों को चाकुओं से बुरी तरह से गोद दिया। इनमें से गौरव अरोड़ा की मौत हो गई थी जबकि मनोज पंत को 186 टांके आए थे।
उधमसिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक टीएस मंजूनाथ ने रविवार को रूद्रपुर में इस मामले पर से पर्दा उठाते हुए कहा कि पुलिस ने इस घटना के बाद मामला दर्ज कर चारों आरोपियों को जेल भेज दिया। शातिर दिमाग अनिल कुमार सिंह उर्फ खुशालपाल सिंह ने यहीं से चाल चली और अपने दो बेटों कपिल व जितेन्द्र को अपराध से बचाने के लिये फर्जी दस्तावेज तैयार कर नाबालिग घोषित कर दिया। हालांकि अदालत में उसकी पोल खुल गयी और दस्तावेजों के परीक्षण के बाद वह अपनी चाल में सफल नहीं हो पाया।
इसके बाद किशोर न्याय बोर्ड की ओर से आरोपी के खिलाफ धारा 420, 467, 468 व 471 में रुद्रपुर के पंतनगर थाना में सन् 2012 में दो अभियोग पंजीकृत किये गये। आरोपी तभी से फरार था और लगातार पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहा था। पुलिस ने आरोपी पर 10 हजार का इनाम भी घोषित कर दिया था।
आरोपी को पकड़ने के लिए एसओजी प्रभारी कमलेश भट्ट की अगुवाई में पुलिस की एक टीम लगातार दबिश दे रही थी। टीम ने काफी मशक्कत के बाद आरोपी को शनिवार को मुरादाबाद के दलपतपुर मूढापांडे से गिरफ्तार कर लिया। एसएसपी ने बताया कि आरोपी यहाँ अपने बेटे लोकेन्द्र के साथ सेवानिवृत्त दरोगा गुड्डू के नाम से रह रहा था। आसपास के लोग उसे सेवानिवृत्त दरोगा के नाम से जानते थे।