सऊदी अरब और तुर्की के बीच इस्लामिक देशों का खलीफा बनने को लेकर लगातार टकराव रहा है। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन ने हाल के सालों में लगातार तुर्की को इस्लामिक देशों के सेंटर पॉइंट बनाने की कोशिश की है। दोनों देशों के बीच रार इतनी बढ़ गई थी कि सऊदी अरब ने साल 2020 में अपने नागरिकों से तुर्की में बने सामानों का बहिष्कार करने की अपील की थी। लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच संबंध ट्रैक पर लौट रहे हैं।
खशोगी मर्डर केस को सऊदी ट्रांसफर करेगा तुर्की?
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट बताती है कि तुर्की खशोगी मर्डर केस को सऊदी अरब ट्रांसफर कर सकता है। तुर्की के अहाबर चैनल ने रिपोर्ट दी है कि वाशिंगटन पोस्ट से जुड़े पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले को तुर्की सऊदी अरब में ट्रांसफर कर सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस कदम से तुर्की और सऊदी अरब के बीच दशकों से बीच जारी रार को कम कर सकता है। इसके साथ ही तुर्की के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेचेप तैय्यप एर्दोआन और अंकारा की आलोचना की जा सकती है।
कोर्ट ने न्याय मंत्रालय से मांगी सलाह
रिपोर्ट में बताया गया है कि हत्या को संभालने वाले एक तुर्की अभियोजक ने इस्तांबुल की एक अदालत से कार्यवाही को निलंबित करने और मामले को सऊदी अरब में ट्रांसफर करने के लिए कहा है। मामले को लेकर कोर्ट ने न्याय मंत्रालय से सलाह लेने का फैसला किया है।
हत्यारा ही केस की सुनवाई करेगा?
बता दें कि खशोगी की 2018 में इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में सऊदी एजेंटों द्वारा हत्या कर दी गई थी। खगोशी की हत्या के बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने मामले की जांच की और पाया कि इस हत्या के पीछे सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का हाथ होने के ठोस सबूत हैं। यूनाइटेड नेशंस की जांच में भी मोहम्मद बिन सलमान पर सवाल उठाए गए थे।