पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में उछाल का सिलसिला जारी है। सीएनजी से लेकर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। जल्द ही इनका असर आम आदमी की जेब पर भी दिखाई देने वाला है। क्योंकि ट्रांसपोर्ट लागत बढ़ने का असर दिखाई देने में 10 से 15 दिन का वक्त लगता है।
ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का कहना है कि 22 मार्च से अब तक माल ढुलाई की कीमतों में करीब पांच फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है जो आने वाले दिनों में पांच से 10 फीसदी तक और बढ़ सकता है। क्योंकि लगातार पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ रही है। अभी तक सबसे ज्यादा इजाफा लोकल ट्रांसपोर्ट में हुआ है। क्योंकि सीएनजी की कीमतों में लगातार इजाफा हुआ है। राजधानी के अंदर माल ढुलाई का बड़ा हिस्सा सीएनजी वाहनों के जरिए होता है।
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के महामंत्री नवीन गुप्ता का कहना है कि हम लगातार अंतरराष्ट्रीय बाजार का हवाला देकर कीमतें बढ़ा रहे हैं लेकिन इस बीच रूस से भी सस्ती दरों पर तेल खरीदा जा रहा है। अब लगातार कीमतें बढ़ रही है तो इनका आम जीवन पर भी प्रभाव आएगा। क्योंकि माल ढुलाई की लागत बढ़ने का असर दिखाई देने में समय लगता है। जबकि नया माल नहीं आ जाती है तब तक व्यापारी भी कीमतों में सामान्य तौर पर परिवर्तन नहीं करते हैं। अब तक पांच प्रतिशत ट्रांसपोर्ट चार्ज बढ़ चुका है। बाकी इसी तरह से डीजल की कीमतें बढ़ती है तो उससे माल ढुलाई का खर्च पांच से 10 फीसदी और बढ़ेगा।
माल ढुलाई में डीजल खर्च 50 से 60 फीसदी
ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन की तरफ से कहा जा रहा है कि तेल की कीमतें बढ़ने से ट्रांसपोर्टर के कुल खर्च में 50 से 60 फीसदी हिस्सेदारी डीजल की हो गई है। बाकी खर्च ड्राइवर, हेल्पर और गाड़ी के रखरखाव पर खर्च होता है। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन प्रदीप सिंघल कहते हैं कि अब अगर डीजल की कीमतें 10 रुपये बढ़ती है तो उसमें छह रुपये हमें ट्रांसपोर्ट चार बढ़ाना ही होगा। अगर नहीं बढ़ाएंगे तो घाटा होगा। इससे साफ है कि लागत खर्च बढ़ रहा है। इसलिए डीजल की कीमतें बढ़ते ही हमें माल ढुलाई की कीमतें बढ़ानी पड़ रही हैं।