राजस्थान में कोयला संकट को लेकर सीएम अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल एक बार फिर आमने-सामने होंगे। सीएम गहलोत आज रायपुर जाएंगे और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल से मुलाकात करेंगे। दोनों राज्यों में कोयला खदान को मंजूरी को लेकर ठनी हुई है। दरअसल छत्तीसगढ़ के पारसा ईस्ट और एक दूसरे कोल ब्लाॅक को केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद भी बघेल सरकार अनुमति नहीं दे रही है। जिसकी वजह से राजस्थान के थर्मल पावर प्लांट को कोयला की आपूर्ति नहीं हो रही है। इसकी वजह से राजस्थान में बिजली संकट के आसार बन गए है। सीएम गहलोत छत्तीसगढ़ के सीएम कोयला आपूर्ति करने की मांग करेंगे। राजस्थान थर्मल बिजली के उत्पादन के लिए जरूरी कोयले के लिए छत्तीसगढ़ पर निर्भर है।
सोनिया गांधी के हस्तक्षेप से भी नहीं सुलझा मामला
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दखल के बाद भी राजस्थान में कोयला संकट का समाधान नहीं हो पाया है। सीएम गहलोत ने 3 महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्टी लिखकर राजस्थान के कोल ब्लाॅक को छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति दिलवाने में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। सीएम गहलोत ने कोयला आपूर्ति के लिए छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को नवंबर महीने में चिट्टी भी लिखी थी, लेकिन विवाद जस का तस बना हुआ है। 12 दिसंबर को कांग्रेस की जयपुर में महंगाई के खिलाफ हुई रैली में सीएम गहलोत और भूपेश बघेल की मुलाकात हुई थी, लेकिन कोल माइंस की मंजूरी पर बात नहीं बनी। कोल माइंस का इलाका वन विभाग के अंडर में आता है। वहां ग्रामीण और आदिवासी खनन का विरोध कर रहे हैं। स्थानीय विरोध के कारण छत्तीसगढ़ के सीएम कोल माइंस की मंजूरी देने में देरी कर रहे हैं।
बिजली उत्पादन के लिए कोयला खत्म
भारत सरकार ने राजस्थान को 2015 में 4 हजार 340 मेगावाट बिजली उत्पादन इकाईयों के लिए छत्तीसगढ़ के पारसा ईस्ट-कांटा बासन (PEKB) में 15 MTPA तथा पारसा में 5 MTPA क्षमता के कोल ब्लॉक आवंटित किये थे। इनमें से पारसा ईस्ट- कांटा बासन कॉल ब्लॉक के प्रथम चरण में हनन इस महीने पूरा हो चुका है और यहां से राजस्थान को कोयले की आपूर्ति अब नहीं हो सकेंगी। जिससे बिजली संकट पैदा हो सकता है। केन्द्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायू परिवर्तन मंत्रालय तथा कोयला मंत्रालय ने पारसा कॉल ब्लॉक से राजस्थान को कोयले की आपूर्ति के लिए आवश्यक स्वीकृतियां दे दी है। अब द्वितीय चरण में वन से संबंधित स्वीकृति छत्तीसगढ़ सरकार के समक्ष विचाराधीन है। राजस्थान का अधिकांश भू-भाग रैगिस्तानी है जहां बिजली उत्पादन के लिए ना तो हाईड्रो पावर उपलब्ध है और ना ही कोयला उपलब्ध है।