अगर आपने अपना वाहन किसी और व्यक्ति को चलाने के लिए दिया हुआ है तो ध्यान रखें कि वह सही हाथों में हो। कहीं ऐसा न हो कि वाहन चालक की गलती का खामियाजा आपको भुगतना पड़े। सड़क दुर्घटना के एक ऐसे ही मामले में वाहन मालिक को वाहन चालक की गलती के एवज में 23 लाख रुपये का मुआवजा भरने के आदेश दिए गए हैं।
दरअसल, आरोपी चालक दो दोस्तों के साथ मौज-मस्ती के लिए मालिक का व्यावसायिक वाहन लेकर निकला था। वह वाहन को लापरवाह तरीके से चलाने लगा, तभी वाहन बीच सड़क पर खड़े एक ट्रक से टकरा गया। हादसे में वाहन चालक के दोनों दोस्त गंभीर रूप से जख्मी हो गए। इलाज के दौरान एक दोस्त को पैर गंवाना पड़ा, जबकि दूसरे दोस्त को भी चोंटें आईं।
अदालत में दोस्तों ने चालक की गलती बताई : मामला अदालत पहुंचा तो चालक की गलती साबित हुई, लेकिन इस मामले में तब नया मोड़ आ गया जब इस वाहन का बीमा करने वाली कंपनी ने दोनों पीड़ितों को गवाह के तौर पर बुलाया और पूछा कि वे वाहन में किस काम से गए थे। इस पर पीड़ितों ने कहा कि वे मौज-मस्ती के लिए निकले थे और उनका दोस्त लापरवाहपूर्ण तरीके से वाहन को सड़क पर इधर-उधर घूमा रहा था। वाहन की गति भी तेज थी। बीमा कंपनी ने अदालत में कहा कि क्योंकि आरोपी और पीड़ित मस्ती कर रहे थे। हादसे के लिए निजी तौर पर वाहन चालक जिम्मेदार है, इसलिए मुआवजा रकम की भरपाई वाहन का मालिक अथवा चालक करेगा।
बीमा कंपनी की दलील मानी : साकेत स्थित एमएसीटी जज डॉ. हरदीप कौर की अदालत ने बीमा कंपनी की दलीलों को उचित माना और वाहन मालिक को निर्देश दिया कि वह दोनों पीड़ितों को मुआवजा रकम का भुगतान करे। अदालत ने वाहन मालिक को यह भी कहा कि वह इस रकम को वाहन चालक से बाद में रिकवर करने का दावा भी कर सकता है। यह दुर्घटना 24 दिसंबर 2018 को ओखला इलाके में हुई थी।
नौ फीसदी ब्याज भी
दुर्घटना में मामूली रूप से जख्मी दूसरे दोस्त को अदालत ने 15 हजार रुपये का मुआवजा देने का निर्देश वाहन मालिक को दिया है। वहीं, मुआवजे की रकम पर नौ फीसदी का ब्याज भी अदालत ने मकान मालिक को देने का निर्देश दिया है।
80 फीसदी दिव्यांग हो गया एक युवक
अदालत ने इस सड़क हादसे में 80 फीसदी दिव्यांग हुए 22 वर्षीय युवक को विभिन्न मदों जैसे कि भविष्य की कमाई, दिव्यांगता के कारण मानसिक व शारीरिक तकलीफ, दूसरों पर निर्भरता आदि के तहत 23 लाख 4649 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। इनमें से तीन लाख रुपये पीड़ित को नकद देने को कहा गया है, जबकि 20 लाख फिक्सड डिपॉजिट करने के आदेश दिए गए हैं, ताकि प्रतिमाह 25 हजार का ब्याज प्राप्त होता रहे और रोजमर्रा का खर्च चलता रहे।