यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद यूक्रेन में रह रहे हजारों यहूदी लोग भी विस्थापित हो गए हैं। हारेत्ज की एक रिपोर्ट बताती है कि यूक्रेन से अब तक 5000 यहूदी शरणार्थी पड़ोस के देशों में पहुंचे हैं। शरणार्थियों की सबसे बड़ी आबादी जर्मनी पहुंच रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जर्मनी में 30 हजार यूक्रेनी यहूदी शरणार्थी पहुंच सकते हैं। लेकिन ये लोग इजरायल न जाकर जर्मनी क्यों नहीं जा रहे हैं जहां उन्हें आराम से नागरिकता मिल सकती है?
हारेत्ज की रिपोर्ट में बताया है कि 2 लाख से अधिक यूक्रेनी वापसी के कानून के तहत इजरायल में नागरिकता प्राप्त करने के योग्य हैं। इन लोगों को इजरायल लौटने पर नागरिकता के साथ ही कई और फायदे मिलते हैं। जैसे कि करीब-करीब फ्री में घर में कई चीजों में सब्सिडी आदि।
‘एक संघर्ष क्षेत्र से दूसरे संघर्ष क्षेत्र में नहीं जाना चाहते’
1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो जर्मनी में एक कानून पारित किया गया था जिसमें यहूदियों को सोवियत छोड़कर आने वालों को विशेष प्रवासी का दर्जा दिया गया था। हारेत्ज के लिए जुडी माल्तज ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जर्मनी पहुंच रहे यूक्रेनी यहूदी इजरायल को एक संघर्ष क्षेत्र की तरह देख रहे हैं। उन्होंने कहा है कि हम एक संघर्ष क्षेत्र को छोड़कर दूसरे संघर्ष क्षेत्र में नहीं जाना चाहते हैं। लोगों ने बताया है कि इजरायल में हर वक्त युद्ध की संभावना बनी रहती है। ऐसे में जर्मनी हमारे लिए स्वीडन या नॉर्वे जैसी जगह है जहां कोई संघर्ष नहीं है।
इजरायल क्यों नहीं लौट रहे यूक्रेनी यहूदी?
कुछ लोगों ने यह भी कहा है कि इजरायल में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है, यही कारण है कि हम जर्मनी पहुंच रहे हैं। कुछ लोगों ने दूरी को भी एक वजह बताई। कहा कि यूक्रेन से इजरायल की तुलना में जर्मनी नजदीक है। ऐसे में अगर भविष्य में यूक्रेन में हालात में सुधार होता है तो हमें जर्मनी से यूक्रेन पहुंचने में अधिक आसानी होगी।
मामले को नजदीक से देख रहे एक्सपर्ट्स ने हारेत्ज से बातचीत में कहा है कि जर्मनी में यहूदी धर्म की उदार और प्रगतिशील धाराएं मजबूत हैं। जर्मन यहूदी संस्थाओं ने युद्ध के बाद से शरणार्थियों की बहुत मदद की है। कई शरणार्थियों को यह भी लगता है कि उन्हें इजरायल में शायद पूरी तरह से स्वीकार न किया जाए। जर्मनी पहुंच रहे कई लोगों को इजरायली नेता और अधिकारियों के भी कॉल आए हैं कि आप इजरायल लौट आएं लेकिन लोगों ने मना कर दिया है।
80 सालों में बदल गए हालात!
जर्मनी में पहले से रह रहे यहूदी लोगों ने कहा है कि हमारे समुदाय को इस तरह संगठित हुए 30 साल से अधिक समय हो गया है। आखिरी बार हम 1991 में इस तरह से एकसाथ थे। गिदोन जोफ बर्लिन में यहूदी समुदाय के अध्यक्ष हैं। उन्होंने हारेत्ज से बातचीत में कहा है कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जर्मन यहूदी लोगों के खिलाफ भयानक अपराधों के अपराधी थे जबकि रूसी उनके मुक्तिदाता थे। हालांकि 80 सालों के बाद हालात बदल गए हैं। दुनिया वाकई बदल गई है। आज यूक्रेनी यहूदी रूसियों से जर्मनी की ओर भाग रहा है और जर्मनी उनका स्वागत कर रहा है। जब आप इसके बारे में सोचते हैं तो इस पर यकीन करना मुश्किल होता है लेकिन यही सच है।