सीबीआई ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि वह पिछले साल तिहाड़ जेल में गैंगस्टर अंकित गुर्जर की हिरासत में मौत (Ankit Gurjar Death Probe) के मामले में जेल अधिकारियों द्वारा जबरन वसूली (Extortion Case) के आरोपों की जांच कर रह थी, और एजेंसी कथित अपराध के संबंध में एक अलग एफआईआर दर्ज कर सकती है।
सीबीआई के वकील ने हिरासत में मौत की सीबीआई जांच के लिए गुर्जर की मां की याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मनोज ओहरी से कहा कि हत्या की जांच समाप्त हो गई है। जबरन वसूली की जांच चल रही है। हम शायद आरोपी को भी गिरफ्तार कर लेंगे और फिर एक स्टेटस रिपोर्ट फाइल करेंगे।
सीबीआई ने एक स्टेटस रिपोर्ट भी दायर की, जिसमें गुर्जर को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने में लापरवाही, सीसीटीवी कैमरों को बंद करने और जेल अधिकारियों द्वारा कथित जबरन वसूली को उजागर किया गया।
एजेंसी ने कहा कि यह स्थापित किया गया है कि अंकित गुर्जर की मौत 3-4 अगस्त, 2021 की दरमियानी रात को लाठी, रॉड और डंडे से लगी चोटों के कारण हुई थी और चार प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए गए हैं। सीबीआई ने कहा कि चल रही जांच में घटना के स्थानों से संबंधित कोई भी सीसीटीवी फुटेज बरामद नहीं की जा सकी है।
स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले की जांच सबसे तेजी से की जा रही है और मामले को समाप्त करने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। अदालत ने मामले में जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को और समय देते हुए केस की सुनवाई 6 मई तक के लिए स्थगित कर दी। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अधिकारी अंकित गुर्जर के सह-आरोपी की पत्नी को सुरक्षा प्रदान करना जारी रखेंगे, जिन्होंने जेल अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पहले अदालत का रुख किया था।
29 वर्षीय अंकित गुर्जर तिहाड़ जेल में अपनी सेल में मृत पाया गया था।
वकील महमूद प्राचा के माध्यम से परिवार ने पिछले साल हाईकोर्ट का रुख करते हुए आरोप लगाया था कि अंकित गुर्जर को जेल अधिकारियों द्वारा परेशान किया जा रहा था क्योंकि वह उनकी पैसे की नियमित रूप से बढ़ती मांगों को पूरा करने में असमर्थ था और इसके चलते ही पूर्व नियोजित साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी गई थी।
पिछले साल मौत की जांच सीबीआई को सौंपते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि गुर्जर ने “हिरासत में हुई हिंसा में अपनी जान गंवा दी”।
अपनी पहले की स्टेटस रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा कि यह स्थापित किया गया है कि गुर्जर के भाई के खाते से कई यूपीआई भुगतान किए गए थे, और एक गवाह ने खुलासा किया कि पिछले साल मार्च में जेल कर्मचारियों में से एक को मृतक की ओर से बांटी गई रकम प्राप्त हुई थी। इन आरोपों की जांच चल रही थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गवाहों ने दावा किया है कि गुर्जर और एक जेल अधिकारी, एक उप-अधीक्षक के बीच लड़ाई हुई थी और उनमें से एक ने मृतक और उसके साथ सेल में बंद दो अन्य लोगों को पीटा था। जेल अधिकारियों ने कहा है कि उपाधीक्षक नरेंद्र मीणा (जो 3 अगस्त को गुर्जर के साथ कथित रूप से लड़ाई में शामिल थे), सहायक अधीक्षक दीपक डबास और बलराज और वार्डर शिवा सहित चार जेल अधिकारियों को घटना के बाद निलंबित कर दिया गया था।