आए दिन बोरवेल के खुले गड्ढों में बच्चों के गिरने के हादसे होने पर राज्य सरकार ने सभी जनपद सीईओ और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) को निर्देश दिए हैं कि वे बोरवेल खुले नहीं छोड़ें। दमोह में रविवार को तीन साल के प्रियांश की गड्ढे में गिरने से मौत की घटना के बाद इस तरह के निर्देश एकबार फिर जारी किए गए। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में छह साल में अब तक छह बच्चे बोरवेल के खुले गड्ढों में गिर चुके हैं लेकिन बोरवेल के खुले गड्ढों के प्रति सरकारी तंत्र और आमजन की लापरवाही कम नहीं हुई है।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से चर्चा के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने दमोह की घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सभी जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों (सीईओ) और पीएचई विभाग को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे बोरवेल के लिए खुदाई के बाद गड्ढों को खुला नहीं छोड़ें। गौरतलब है कि रविवार को तीन साल का प्रियांश दमोह के पटेरा थाना क्षेत्र में एक बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था जिसके लिए साढ़े पांच घंटे तक रेस्क्यू चला। जब शाम को उसे निकाला गया तो उसकी सांसें चल रही थीं लेकिन अस्पताल पहुंचने के पहले ही उसने दम तोड़ दिया। इस तरह की घटनाएं प्रदेश में पहले भी कई हो चुकी हैं।
छतरपुर, उमरिया, देवास, निवाड़ी व ग्वालियर में हो चुके हैं हादसे
दमोह हादसे के तीन दिन पहले ही उमरिया के बरछड़ गांव में भी इसी तरह चार साल का मासूम बोरवेल के खुले गड्ढे में गिर गया था। इसमें चार साल का गौरव गड्ढे के भीतर ही मर गया था। ऐसी घटनाएं पूर्व में छतरपुर, देवास, निवाड़ी और ग्वालियर जिलों में भी हो चुकी हैं। छतरपुर में दिसंबर 2021 में तेरह महीने की मासूम दिव्यांशी भी इसी तरह खेलते-खेलते बोरवेल के खुले गड्ढे में गिर गई थी। इसे बाहर निकालने के लिए सेनाा को भी रेस्क्यू के लिए बुलाया था। इसके पहले निवाड़ी में तीन साल के प्रहलाद को बोरवेल के गड्ढे से बाहर निकालने के लिए सेना को रेस्क्यू के लिए बुलाया था। वहीं, देवास में चार साल के रोशन को गड्ढे से बाहर निकालने के लिए 22 घंटे से ज्यादा का समय लग गया। छह साल पहले ग्वालियर के खेरिया में भी दो साल का अभय पचौरी नाम का बच्चा भी बोरवेल के खुले गड्ढे में पैर फिसलने से गिर गया था और उसकी भी लाश को ही बाहर निकाला जा सका था।