दिल्ली दंगों से जुड़े भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने की मांग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हाई कोर्ट ने भड़काऊ भाषण देने के आरोप में नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर विचार करते हुए यह आदेश दिया है।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनूप कुमार मेंदीरत्ता की बेंच ने उन सभी नेताओं के खिलाफ नोटिस जारी किया जिनके खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है। बेंच ने शेख मुजतबा की ओर से दाखिल याचिका पर विचार करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा, भाजपा नेता कपिल मिश्रा व अभय वर्मा को पक्ष रखने का आदेश दिया है। इसके साथ ही बेंच ने वकीलों के संगठन ‘लॉयर्स वॉयस’ की ओर से दाखिल याचिका पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया, आप विधायक अमानतुल्लाह खान, एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी, इसी पार्टी के विधायक वारिस पठान के अलावा अभिनेत्री स्वारा भास्कर, वकील महमूद प्राचा, समाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर के अलावा मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल, उमर खालिद, बीजी कोलसे पाटिल और अन्य से जवाब मांगा है।
बेंच ने कहा है कि मामले में किसी तरह का आदेश पारित करने से पहले हमें उन सभी लोगों को पक्ष सुनना होगा, जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की जा रही है। बेंच ने सभी नेताओं, सामजिक कार्यकर्ताओं को मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च से पहले जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट ने हाल ही में मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल करने वालों से उन सभी लोगों को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था जिनके खिलाफ आदेश पारित करने की मांग कर रहे हैं। इसके बाद 24 फरवरी को याचिकाकर्ताओं ने अपनी अपनी याचिकाओं में उन सभी नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं को पक्षकार बनाया था, जिनके खिलाफ वे भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहे हैं।
नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर राजधानी में हुए विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में नेताओं, समाजिक कार्यकताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है। याचिकाओं के कहा गया है कि नेताओं, समाजिक कार्यकताओं के भड़काऊ भाषणों के परिणामस्वरूप ही उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी, 2020 में हिंसा हुई थी।