दिल्ली पुलिस और द्वारका अदालत में वकील गुरुवार को एक बार फिर आमने-सामने आ गए। वकीलों ने पुलिस के खिलाफ ना केवल दिनभर विरोध-प्रदर्शन किया, बल्कि पुलिसकर्मियों के अदालत परिसर में प्रवेश पर भी रोक लगा दी। वकीलों का कहना है कि द्वारका जिले के पुलिस उपायुक्त मनमाना रवैया अपना रहे हैं। द्वारका बार एसोसिएशन के मुताबिक पुलिस उपायुक्त ने एक वकील के खिलाफ गलत तरीके से मुकदमा दर्ज कर उसके घर सुबह पांच बजे बड़ी संख्या में लाठी-डंडों से लैस पुलिसबल को भेजा।
वकीलों का कहना है कि जिस वकील के खिलाफ नाबालिग लड़की ने छेड़खानी करने का मुकदमा दर्ज कराया है उसका कसूर बस इतना था कि उसने बाल यौन शोषण के आरोपी को जमानत दिलाई थी। फिर उसी लड़की ने आरोपी के वकील पर झूठा आरोप लगा दिया। अधिवक्ता राजेश कौशिक ने कहा है कि बार एसोसिएशन शुक्रवार को इस बाबत जिला न्यायाधीश, पुलिस आयुक्त समेत अन्य आला अधिकारियों को पुलिस उपायुक्त के इस रवैये के खिलाफ पत्र लिखेंगे।
पुलिस उपायुक्त के स्थानांतरण की मांग की जाएगी। यदि 28 फरवरी तक द्वारका जिले के पुलिस उपायुक्त का तबादला नहीं किया जाता, तो वकील द्वारका अदालत के बाहर पुलिस उपायुक्त कार्यालय तक पैदल मार्च निकालेंगे। साथ ही अधिवक्ता राजेश कौशिक ने बताया कि छेड़खानी के आरोप में वकील को जमानत मिल गई है।
वहीं, पुलिस उपायुक्त का कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था कि वकील के घर पर पुलिसकर्मी जाएं। जब उन्हें सुबह यह जानकारी मिली तो तुरंत वकील के घर जाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की गई। आरोपी वकील के कहने पर मामले की जांच जिला अन्वेषण यूनिट (डीआईयू) को सौंप दी गई है। एक नए जांच अधिकारी को मामले की तफ्तीश सौंपी गई है। हालांकि वकीलों व पुलिस के बीच अभी भी तनाव का माहौल है। वकील पुलिस उपायुक्त को तत्काल यहां से स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं।