बहुचर्चित बेहमई नरसंहार मामले में दो साल बाद फिर से बहस शुरू हुई। डीजीसी ने जिले के सबसे बड़े मुकदमे में बहस करते हुए बताया कि नरसंहार में डकैतों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर बीस लोगों को मौत के घाट उतारा था। पुलिस ने मौके से 27 खोखों के साथ ही डकैतों के छोड़े धमकी भरे कई पत्र भी बरामद किए थे। अगली बहस 28 फरवरी को होगी।
बेहमई गांव में 14 फरवरी 1981 को दस्यु फूलन देवी के गिरोह ने धावा बोलकर लूटपाट करने के बाद 20 लोगों की हत्या कर दी थी। 7 लोग घायल भी हुए थे। गांव के राजाराम सिंह ने फूलन देवी सहित 14 नामजद व 35-36 अज्ञात डकैतों के खिलाफ सिकंदरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मुकदमे में जनवरी 2020 को फैसला सुनाए जाने से ठीक पहले मूल केस डायरी का पेंच फंसने से सुनवाई टली तो अब फिर से सुनवाई शुरू हो पायी।
41 साल से चल रहे इस मुकदमे के वादी राजाराम सिंह व चश्मदीद गवाह जंटर सिंह सहित तमाम गवाहों के साथ फूलन सहित कई आरोपितों की भी मौत हो चुकी है। करीब तीस साल से फरार चल रहे विश्वनाथ उर्फ अशोक, मानसिंह व रामरतन के खिलाफ कोर्ट से वारंट जारी होने के बाद भी पुलिस उनको गिरफ्तार करना तो दूर सुराग तक नहीं पा सकी। बुधवार को स्पेशल जज डकैती सुधाकर राय की कोर्ट में फिर से बहस शुरू हुई।
जिला शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल ने कोर्ट को बताया कि घटनास्थल से पुलिस ने 27 चले हुए कारतूस बरामद करने के साथ मरजाद सिंह के मकान की छत पर डकैतों द्वारा छोड़े गए कई धमकी भरे पत्र बरामद किए थे, जो पत्रावली में उपलब्ध हैं। बताया, डकैतों ने 27 लोगों को पीटकर लाइन में खड़ा कर गोलियां बरसाई, इसमें 20 की मौके पर ही मौत हो गई थी। सात घायलों ने लाशों के बीच छिपकर अपनी जान बचाई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट मे एक आरोपित विश्वनाथ उपस्थित रहा, जबकि पोसा जेल से नहीं आ सका। आरोपित श्यामबाबू की हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र कोर्ट में दिया गया। डीजीसी ने बताया कि इस मामले में बहस जारी है, अब सुनवाई 28 फरवरी को होगी।