राजधानी दिल्ली में लोकायुक्त की नियुक्ति में देरी का मामला अब दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) तक पहुंच गया है। हाई कोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका दायर के माध्यम से आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को एक महीने के भीतर लोकायुक्त नियुक्त (Lokayukta Appointment) करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि ऐतिहासिक भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आई थी, लेकिन लोकायुक्त का पद दिसंबर 2020 से खाली पड़ा है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार रिश्वतखोरी, काला धन, बेनामी संपत्ति, कर चोरी, मुनाफाखोरी और अन्य आर्थिक और सफेदपोश अपराधों के खतरे को खत्म करने के लिए कदम नहीं उठा रही है और इसलिए मौलिक अधिकारों का रक्षक होने के कारण लोकायुक्त की नियुक्ति के मामले में न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ता है।
याचिका में कहा गया है कि जब जस्टिस रेवा खेत्रपाल दिल्ली लोकायुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुईं, तो सरकार ने आज तक इस पद को भरने के लिए कुछ नहीं किया और भ्रष्टाचार से संबंधित सैकड़ों शिकायतें कार्यालय में लंबित हैं।
याचिका में कहा गया है कि ‘आप’ का गठन ऐतिहासिक भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद हुआ था, लेकिन वही पार्टी लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर रही है, जो कई मोर्चों पर राज्य के खराब प्रदर्शन को दर्शाता है।
याचिका के अनुसार, ‘आप’ ने 2015 और 2020 के चुनावी घोषणा पत्र में एक कड़े और प्रभावी जन लोकपाल विधेयक का वादा किया था, लेकिन कानून बनाने के बजाय, सरकार अब पुराने अप्रभावी अधिनियम 1995 के तहत लोकायुक्त की नियुक्ति भी नहीं कर रही है और विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित सैकड़ों गंभीर शिकायतें लोकायुक्त कार्यालय में लंबित हैं। इस हफ्ते हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होने की संभावना है।